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डेंगू का वार, जिला अस्पताल बीमार

रायबरेली : जिले में डेंगू व बुखार का कहर जारी है लेकिन जिला अस्पताल में न तो व्यवस्था है और न ही पर

By Edited By: Published: Sun, 25 Sep 2016 10:41 PM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2016 10:41 PM (IST)
डेंगू का वार, जिला अस्पताल बीमार

रायबरेली : जिले में डेंगू व बुखार का कहर जारी है लेकिन जिला अस्पताल में न तो व्यवस्था है और न ही पर्याप्त इंतजाम। अस्पताल में डेंगू की जांच तो होती है लेकिन वह कितनी कारगर है यह कहना मुश्किल है। असल में इसकी तस्दीक इससे हो रही कि अस्पताल प्रशासन ने डेंगू से लड़ने की कोई योजना नहीं बनाई है। सब कुछ हवा में तैर रहा है। आइसोलेशन वार्ड कूड़ा घर बना हुआ है वहीं हीट स्ट्रोक वार्ड में इस तरह के मरीज भर्ती किए जाते है। असल में चिकित्सकों की बाजीगरी पूरी तरह से हावी है

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जिला अस्पताल में इस समय इंदिरा नगर के राहुल द्विवेदी को छोड़कर कोई भी मरीज बुखार या डेंगू की आशंका के चलते भर्ती नहीं है। राहुल के बारे में चिकित्सक का कहना है कि डेंगू की पुष्टि नहीं हुई लेकिन प्लेटलेटस घट रहे थे। राहुल को आइसोलेशन वार्ड की जगह हीट स्ट्रोक वार्ड में भर्ती किया गया है। यह भी बताया गया कि जिला अस्पताल में डेंगू से संक्रमित मरीज अभी नहीं आ रहे हैं जबकि 10 पूर्व बछरावां महराजगंज व शहर से पांच मरीज आए थे तो अस्पताल में बेहतर व्यवस्था न होने के कारण परिजन उन्हें ले गए। गौरतलब है कि जिले में बुखार व डेंगू की पकड़ बनी हुई है। हालांकि जिला अस्पताल प्रशासन के मुताबिक किसी रोगी में डेंगू की पुष्टि नहीं हुई है, इसके विपरीत हाल ही में शिवगढ के बैंती निवासी रामशरण के पुत्र ¨शवाशु (16) की अस्पताल में मौत हुई थी। इस दौरान परिजनों ने आरोप लगाया था कि ठीक तरह से शिवम का इलाज नहीं किया गया था। इस पर जिला अस्पताल में जमकर बवाल हुआ था।

निजी पैथ लैब कमा रहे रकम :

चिकित्सकों के कमीशन के खेल ने निजी पैथलैब को चांदी काटने का मौका दे दिया है। निजी पैथलैब में डेंगू की जांच की कीमत 800 रुपए है। ऐसे में जो कमजोर वर्ग है उसकी कमर तोड़ी जा रही है। जिला अस्पताल के चिकित्सकों पर निजी प्रैक्टिस करने के आरोप लगते हैं यही वजह कि डेंगू के मरीज जिला अस्पताल में कम बाहर अधिक देखे जा रहे है।

डेंगू की जांच :

सबसे पहले मरीज का एंटीजेन र पिड कार्ड टेस्ट लिया जाता है। टेस्ट में मरीज के पॅाजीटिव आने पर एलाइजर रीडर टेस्ट होता है। इस टेस्ट में डेंगू की असल पुष्टि होती है। इसी के आधार पर मरीज का उपचार होता है। मरीज में प्लेटलेट्स कम होने पर खतरा बढ़ जाता है। ये सारी जांचे जिला अस्पताल में उपलब्ध हैं। फिर भी रोगियों को निजी पैथ लैब भेजा जा रहा है।

ब्लड बैंक में नहीं है सेपरेटर :

जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर न होने की वजह से मरीजों को प्लेटलेट्स देने की सुविधा नहीं है। डेंगू के मरीजों को फ्रेश ब्लड चढ़ाकर किसी तरह प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। अन्यथा की स्थिति में मरीजों को लखनऊ रेफर कर दिया जाता है।

खबर का जोड़ : जिला अस्पताल का हाल

- आइसोलेशन वार्ड कूड़ा घर में तब्दील

- मच्छरदानी व क्वाइल का कहीं कोई पता नहीं

- हीट स्ट्रोक वार्ड भी गंदगी के बीच स्थित

- कोई त्वरति सेवा नहीं, डेंगू के लिए विशेष व्यवस्था नहीं

- प्लेटलेट्स बढ़ाने की कोई व्यवस्था नहीं, दवा के सहारे प्लेटलेटस बढ़ाने का काम

एक दर्जन को हो चुका डेंगू

शिवगढ़ के शिवा , लालगंज के शैलेंद्र, बछरावां की आदर्श सृष्टि, मंगल, शफीकुननिशा, महराजगंज के इरफान, शहर से अर¨वद कुमार को डेंगू हुआ जिनका इलाज किया गया। वहीं अमावां निवासी परिवहन विभाग के कर्मचारी व हिलानी निवासी जगजीवन राम (55) की शुक्रवार को मौत हो गयी थी। इसी तरह इसी तरह जिला अस्पताल में 9 ¨सतबर को पिलखा निवासी सत्यम (2) तथा पूरे जंगली गांव निवासी सोनी (10), पिपरी गांव निवासी शुभम व गुरू बक्स आदि की मौत हो चुकी है।

अधिकारी बोले :

सेपरेटर के लिए कार्ययोजना बनायी जा रही है। सबकुछ ठीक रहा तो जिला अस्पताल में भी प्लेटलेट्स की सुविधा मुहैया करा दी जाएगी।

डा. एनके श्रीवास्तव, सीएमएस


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