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संस्कारों की पाठशाला में सुधारों का तैयार कर रहे बीज

रायबरेली, जागरण संवाददाता : आर्य समाज मंदिर समाज में व्याप्त कुरीतियों पाखंड श्राद्ध तर्पण को दूर कर

By Edited By: Published: Sat, 01 Aug 2015 09:29 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2015 09:29 PM (IST)
संस्कारों की पाठशाला में सुधारों का तैयार कर रहे बीज

रायबरेली, जागरण संवाददाता : आर्य समाज मंदिर समाज में व्याप्त कुरीतियों पाखंड श्राद्ध तर्पण को दूर करने के साथ ही वेदों के प्रचार प्रसार किया जा रहा है। इसके अलावा कम खर्च में विवाह संस्कार कराए जा रहे हैं। वैसे तो आर्य समाज यहां 1935 से सक्रिय हैं। लेकिन इससे सदस्यों की की संख्या अभी भी एक सैकड़ा के आस पास है। आर्य समाज की तरह ही शांतिकुंज से जुड़ी शहर की गायत्री पीठ में पूरे साल शादी, विवाह, उपनयन, अन्न प्रासन, विद्यारंभ आदि संस्कार मामूली शुल्क में होते हैं। समय व पैसे की बचत को लेकर गायत्री पीठ में विवाह जनेऊ बड़ी संख्या में हो रहे हैं।

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शहर में खोयामंडी में आर्य समाज मंदिर का अपना भवन, प्रवचन कक्ष, यज्ञशाला है। आर्य समाज मंदिर परिसर में ही विद्यालय भी चलता है। मंदिर में प्रत्येक रविवार को सुबह दो घंटे हवन व वेद के एक मंत्र पर प्रवचन होता है। इसमें करीब पचास लोग नियमित रूप से शामिल होते हैं। साल में कई विशेष आयोजन भी होते हैं। संस्था बिना दोनों पक्षों के शामिल हुए शादी नहीं कराती है। खासकर भागकर शादी करने वालों के विवाह नहीं कराए जाते। यही वजह है कि यहां कम संख्या में विवाह होते हैं।

संस्था प्रधान ने कहा कि आर्य समाज सबके साथ

आर्य समाज की मौजूदा प्रधान कांती चौधरी ने बताया कि जिले में 1935 के करीब उनके ससुर राम सजीवन चौधरी ने आर्य समाज की शाखा की स्थापना की थी। इसके बाद उनके पति वीरेंद्र चौधरी लंबे समय तक संस्था से जुडे रहे। इसके अलावा डीके वर्मा , केसी कपूर , सूर्य प्रकाश शुक्ला, राम गुलाम, महेंद्र शास्त्री आदि लोगों ने संस्था के कामों को आगे बढ़ाया। संस्था भाग कर शादी करने वाले जोड़ों का विवाह नहीं कराती है। आर्य समाज मंदिर में शादी करने वाले वर वधू दोनों के परिजनों का मौजूद रहना आवश्यक है। इस कारण पूरे साल में करीब आधा दर्जन विवाह ही हो पाते हैं। इसके लिए मात्र 2100 रुपए का शुल्क लिया जाता हे। वह भी विवाह के आयोजन में खर्च हो जाता है।

उपनयन संस्कार नहीं होते

आर्य समाज मंदिर के पुजारी मेड़ी लाल विश्वकर्मा ने बताया कि संस्था में लोग उपनयन व अन्य संस्कार कराने नहीं आते हैं। केवल विवाह संस्कार ही कराए जाते हैं। संस्था के मंत्री पंकज वर्मा ने बताया कि जिले में संस्था के 72 सदस्य हैं। महराजगंज व लालगंज में भी शाखा स्थापित है। आर्य समाज हमेशा से श्राद्ध व तर्पण का विरोध करता है। जीवित माता पिता की सेवा से बढ़कर कोई श्राद्ध तर्पण नहीं है। मुख्यत: वेद प्रचार का काम किया जा रहा है।

गायत्री पीठ में बड़ी संख्या में होते विवाह

शांतिकुंज हरिद्वार से जुड़ी गायत्री शक्तिपीठ का अपना मंदिर शहर के सिविल लाइन में बना है। पीठ के संचालक अमर नाथ तिवारी ने बताया कि समय की कमी व मंहगाई के कारण लोग गायत्री पीठ में आकर बड़ी संख्या में उप नयन संस्कार कराते हैं। इसके अलावा उपनयन, अन्न प्रासन , विद्यारंभ संस्कार कराए जाते हैं। संस्कार के बदले 1100 से लेकर 2100 रुपए का शुल्क लिया जाता है। इसमें हवन सामाग्री, पीत वस्त्र , घी अदि शामिल होता है। बसंत पंचमी, दशहरा, दीवाली, परशुराम जयंती पर गायत्री पीठ में सामूहिक संस्कार होते हैं। एक साल में करीब डेढ़ सौ उपनयन संस्कार व पचास जोड़ों के विवाह व बड़ी संख्या में अन्य संस्कार कराए जाते हैं। संस्कार कराने वालों का एक रजिस्टर में पूरा व्यौरा दर्ज किया जाता है। विवाह का प्रमाणपत्र भी जोड़े को उपलब्ध कराया जाता है। आचार्यों की टोली मंत्रोच्चार के बीच संस्कार कराती है। शादी करने वाले अपने खर्च पर रिश्तेदारों मित्रों के लिए खाने का इंतजाम करते हैं। इसके लिए परिसर उपलब्ध कराया जाता है। आयोजन कराने वाले लोग संपन्न, मध्यम व कमजोर सभी वर्ग के होते हैं। इधर एक दशक में गायत्री पीठ में आयोजन करने का प्रचलन बढ़ा है। परिवार कम समय में पैसे की बचत के साथ विधि विधान से सभी संस्कार कराने आते हैं।


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