तो कब से चल रही कस्तूरबा विद्यालय में मनमानी
रायबरेली, जागरण संवाददाता : आखिर कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में कब से 'मनमानी' का धंधा चल रहा है
रायबरेली, जागरण संवाददाता : आखिर कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में कब से 'मनमानी' का धंधा चल रहा हैं। यह कोई नहीं जनता है क्योंकि कस्तूरबा विद्यालयों में पंजीकृत छात्राओं को उनका तय राशन नहीं मिल पा रहा है। इसकी पुष्टि अमावां का कस्तूरबा विद्यालय चिल्ला-चिल्ला कर रहा हैं। क्योंकि यहां पर पौष्टिक आहार के नाम पर छात्राओं को खिचड़ी और सड़े दूध का मट्ठा परोसा गया था। इससे वहां पंजीकृत छात्राएं फूड प्वायजनिंग का शिकार हो गई थीं।
जिले में 16 कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। इन विद्यालयों में सौ छात्राओं का पंजीकरण करने के निर्देश दिए हैं। इसके सापेक्ष शासन की ओर से पांच करोड़ से अधिक का बजट सालाना दिया जाता हैं ताकि छात्राओं को पौष्टिक आहार मिल सके। छतोह छोड़कर सभी कस्तूरबा विद्यालयों में छात्राओं की संख्या सौ से कम है और बजट पर्याप्त। इसके बाद भी इन विद्यालयों में छात्राओं को खिचड़ी व सड़ा मट्ठा नसीब हो रहा है। आखिर क्या कारण है जो छात्राओं को गुणवत्ताहीन खाना परोसा जा रहा है। वहीं शिक्षाधिकारी भी छात्राओं के स्वास्थ्य पर गंभीर नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में आखिर कब तक कस्तूरबा गांधी विद्यालय में 'मनमानी' का धंधा चलता रहेगा और बेटियों के राशन पर 'बिचौलियों' की नजरें लगी रहेगी।
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इनसेट
जांच टीम ने की पूछताछ
अमावां विद्यालय की तीस छात्राएं फूड प्यावजनिंग का शिकार हुई थीं। इसके लिए बीएसए संदीप चौधरी ने तीन सदस्यीय टीम का गठन का जांच रिपोर्ट सौंपने की बात कही। बुधवार को जैसे ही जांच टीम विद्यालय पहुंची वैसे ही स्टाफ के बीच हड़कंप मच गया। टीम ने शामिल सदस्यों ने रसोइयो और छात्राओं से बातचीत भी की। बीएसए संदीप चौधरी ने बताया कि छात्राओं को विद्यालयों में अच्छा खाना परोसा जाए। इसके लिए भरपूर प्रयास किए जा रहे है। लापरवाही सामने आने पर कार्रवाई तय हैं।