सेस जमा न करने वाले 55 लोगों को नोटिस
रायबरेली, जागरण संवाददाता : दस लाख या इससे अधिक कीमत का मकान, व्यावसायिक भवन या किसी भी तरह का निर्म
रायबरेली, जागरण संवाददाता : दस लाख या इससे अधिक कीमत का मकान, व्यावसायिक भवन या किसी भी तरह का निर्माण कराने वाले व्यक्तियों से भी भवन एवं अन्य सन्निनिर्माण कर्मकार कल्याण उपकर अधिनियम के अंतर्गत सेस (उपकर) की वसूली की जाएगी। श्रम विभाग ने सेस वसूली की प्रक्रिया तेज कर दी है। सेस जमा न करने वाले 55 लोगों को अब तक विभाग की ओर से नोटिस जारी की जा चुकी है। दस लाख या इससे अधिक कीमत के आवासीय एवं व्यावसायिक भवनों का इंजीनियरों से सर्वे कराने की तैयारी भी की जा रही है।
इधर, शासन ने निर्माणदायी संस्थाओं सरकारी महकमों के अधिकारियों की भी इसमें जवाबदेही तय कर दी है। उन्हें सेस कलेक्टर एवं पंजीयन अधिकारी का दायित्व सौंपा गया है।
मालूम हो कि निर्माण कार्यो में लगे राजगीरों को लाभांवित करने के मकसद से भवन एवं अन्य सन्ननिर्माण कर्मकार कल्याण उपकर अधिनियम वर्ष 2005 में प्रदेश में लागू किया गया था। शासन की पहल पर अब इसे सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए है। इस अधिनियम के अंतर्गत दस लाख या इससे अधिक राशि से होने वाले निर्माण कार्य पर एक प्रतिशत सेस वसूले जाने का प्रावधान है। इसके दायरे में सरकारी एवं गैरसरकारी सभी प्रकार के निर्माण कार्य आते हैं। जिस निर्माण एजेंसी या निर्माण कार्य में दस या इससे अधिक श्रमिक कार्यरत हैं तो उन श्रमिकों का श्रम विभाग एवं संबंधित पंजीकरण अधिकारी के यहां पंजीकरण होगा। इसके आधार पर ही उन्हें इस कल्याणकारी योजना के तहत लाभांवित किया जा सकेगा।
सहायक श्रमायुक्त अमित कुमार मिश्रा ने बताया कि इस अधिनियम के तहत दस लाख या इससे अधिक राशि से निजी क्षेत्रों में होटल, आवासीय भवनों का सर्वे कर संबंधित निर्माण एजेंसी से सेस जमा कराने की कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने बताया कि अधिक कीमत केभवनों का निर्माण कराने के बावजूद सेस जमा न करने वाले 55 लोगों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। जो भवन स्वामी या ठेकेदार भवन निर्माण की सही लागत की सूचना विभाग को नहीं देगा, ऐसे भवनों का अभियंताओं की टीम से सर्वे करा उनकी कीमतों का आकलन किया जाएगा।
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आरडीए व नपं को लिखा पत्र
सहायक श्रमायुक्त ने बताया कि शासन के आदेश को मानते हुए उन्होंने आरडीए, नगर पंचायत समेत अन्य विभागों के अफसरों को पत्र लिखकर चल रहे निर्माण कार्यो की लिस्ट मांगी है ताकि दायरे में आने वाले निर्माणकर्ताओं से सेस (उपकर) वसूला जा सके।