किराए पर कस्तूरबा, अपना भवन हो रहा जर्जर
महराजगंज, संवाद सहयोगी: शिक्षा से वंचित गरीब,असहाय बालिकाओं को गुणवत्ता परक शिक्षा के लिए शुरू किए ग
महराजगंज, संवाद सहयोगी: शिक्षा से वंचित गरीब,असहाय बालिकाओं को गुणवत्ता परक शिक्षा के लिए शुरू किए गए कस्तूरबा विद्यालय को कई साल बाद भी अपना घर नहीं मिला। जबकि गांव से दूर खुले में बने पूर्व माध्यमिक विद्यालय में चल रहे इस विद्यालय के लिए 40 लाख की लागत से बना भवन दो साल बिना इस्तेमाल के जर्जर हो रहा है। मानकों खेल के चलते इसकी खिड़कियां दीवारें सब चटक गई हैं, इसके लिए जांच तो बैठाई गई है वह पूरी होने का नाम नहीं ले रही है। उधर बिना बाउंड्री वाल के आबादी से दूर विद्यालय में दिन रात रह रही छात्राएं और शिक्षकाओं के लिए खतरे को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन शिकायत के बाद भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।
महराजगंज क्षेत्र से जुड़ा अमावा विकास खंड के थुलवासा में सरकार ने कस्तूरबा गाधी आवासीय बालिका विद्यालय की स्थापना पांच पहले की गई थी। उस समय इसे आमावां के पूर्व माध्यमिक विद्यालय थुलवासा में चलाया हका गया था। इसके बाद इसके लिए भवन निर्माण शुरू हुआ। भवन के बने दो साल पहले बनकर तैयार हो गया, लेकिन अब तक भवन में विद्यालय नहीं भेजा गया है। बताया गया कि जांच में भवन कई खामियां पाई गईं तो विभाग ने भवन को लेने से मना कर दिया। इसके लिए जांच स्थापित कर दी गई, लेकिन न तो इसकी जांच आज तक पूरी और न ही इसकी खामियों को दूर किया गया।
असुरक्षित है छात्राएं व शिक्षिकाएं
पूर्व माध्यमिक विद्यालय थुलवासा गाव के बाहर बना हुआ है। यहां बाउंड्रीवाल तक नहीं है। 5 कमरों में ही शिक्षण से आवास तक की व्यवस्था कर दी गई है। इसमें विद्यालय की छात्र छात्राएं भी हैं। आबादी से दूर व बाउंड्रीवाल न होने के कारण रात में असुरक्षा की आशंका रहती है। इनकी सुरक्षा के लिए सुरक्षा कर्मिर्यो की भी नहीं है। विद्यालयों की छात्राओं की माने तो जाडे़ में खुले मैदान में व कमरों में ठंड लगती है।
दो साल क्षतिग्रस्त हो गया भवन
कस्तूरबा गाधी विद्यालय के भवन को बने दो साल भी नहीं हुए और इस्तेमाल भी नहीं शुरू हुआ, लेकिन खस्ताहाल होने लगा है। भवन की कोई भी खिड़की ऐसी नही जिसका सीसा टूटा न हो। दिवारें भी चटकी हैं। दरवाजों के हाल भी बद से बदतर हो गये है।
मानक में मिली थी कमी
विद्यालय भवन का निर्माण सीएनडीएस संस्था ने ही करवाया है। इसकी लागत 40 लाख रुपये बताई जा रही है। जांच में इसमें मानकों को लेकर कई खामियां पाईं गईं थी। विभाग का कहना है कि विद्यालय निर्माण मानक के अनुसार न कराने से नहीं लिया गया। जांच में खामियां मिलने पर जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय टीम गठित जांच शुरू कराई है। इसकी जाच एक साल से चल रही है, रिपोर्ट जिलाधिकारी को नही सौपी गई है।
बोले जिम्मेदार
कस्तूरबा विद्यालय के प्रभारी एवं जिला समन्वयक देवेंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि विद्यालय निर्माण मानक के अनुरूप नहीं पाया गया है। 40 लाख की लागत से बने इस विद्यालय की जाच जिलाधिकारी स्तर से की जा रही है। उन्होंने बताया कि जाच रिर्पोट नही आई है। इसके लिए रिमाइंडर भेजा गया है।