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लालगंज और शिवगढ़ में खोजे नहीं मिल रही खाद

लालगंज, संवाद सहयोगी : सहकारी समितियों से खाद के गायब होने के चलते गेहूं की बुआई बाधित है। किसान समि

By Edited By: Published: Fri, 28 Nov 2014 01:01 AM (IST)Updated: Fri, 28 Nov 2014 01:01 AM (IST)
लालगंज और शिवगढ़ में 
खोजे नहीं मिल रही खाद

लालगंज, संवाद सहयोगी : सहकारी समितियों से खाद के गायब होने के चलते गेहूं की बुआई बाधित है। किसान समितियों के चक्कर काट रहे हैं और समितियों मे ताले लटक रहे हैं।

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उल्लेखनीय है कि लालगंज विकास खण्ड की नौ समितियों से खाद गायब है। जिसका कारण पिछले लगभग एक पखवारे से रैक का न आना है। किसान खुले बाजार से बढ़े दामों पर खाद खरीदने को मजबूर है। वहीं काफ किसान समितियों मे खाद आने का अभी भी इंतजार कर रहे हैं। किसान शिवभूषण सिंह, शिवओम बाजपेई, धन्नर तिवारी आदि ने कहा कि हर बार सरकार समितियों मे खाद पूरा होने का दावा करती है, लेकिन समितियों से खाद नदारद ही रहती है। जिसके चलते किसान या तो बुआई देर से कर पाता है या फि र मंहगी खाद खरीदने के चलते फसल की लागत बढ़ जाती है। किसानों ने कहा कि यदि शीघ्र उन्हे खाद उपलब्ध न हुई तो वह सब धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।

वहीं शिवगढ़ में विकास क्षेत्र की साधन सहकारी समितियों में खाद न होने से किसान मिलावट युक्त डीएपी खरीदने को मजबूर हैं। वहीं क्षेत्र में बैंती, बेड़ारू, खजुरों , रींवा,कसना,अक्षई सहित कुल नौ साधन सहकारी समीतिया हैं। जहा रवी सीजन में खाद नहीं आयी है। जब कि रवी की फ सल की बुवाई का समय निकलता जा रहा है। साधन सहकारी समितियों में डीएपी न होने से किसान प्राईवेट दुकानों से नकली व मिलावट युक्त डीएपी 1300 से 1500 तक लेने को मजबूर है। किसान सरकार की उदासीनता के चलते हर कदम पर ठगी व लूट का शिकार होता जा रहा है। भारतीय किसान संघ के ब्लाक अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह का कहना है सपा सरकार अपने आपको किसानों का मसीहा कहती है। आज किसानों के धान की खरीद हो रही है, न ही साधन सहकारी समितियों में डीएपी मिल रही है। जगन्नाथपुर निवासी अजय प्रताप सिंह व विनोद कुमार का कहना है कि प्रदेश सरकार की ढुलमुल नीतियों का शिकार होकर किसान डीएपी खाद के लिए दर-दर भटक रहे है। प्राईवेट दुकानदार मनमानें दामों में नकली डीएपी किसानों को महंगे दामों में बेंच रहे हैं। कुम्भी निवासी रमेश बहादुर चौहान की कहना है कि क्षेत्र में धान खरीद केंद्रों के संचालित न होने से किसान अपने धान को बिचौलियों के हाथों बेचने को मजबूर है।


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