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धाराओं का खेल, जनता रही झेल

रायबरेली, जागरण संवाददाता : पुलिस विभाग में नौकरी करने के लिए कानून की जानकारी होना ड्यूटी का अहम हि

By Edited By: Published: Fri, 31 Oct 2014 01:24 AM (IST)Updated: Fri, 31 Oct 2014 01:24 AM (IST)
धाराओं का खेल, जनता रही झेल

रायबरेली, जागरण संवाददाता : पुलिस विभाग में नौकरी करने के लिए कानून की जानकारी होना ड्यूटी का अहम हिस्सा माना जाता है। लेकिन कई बार संबंधित धाराओं का पर्याप्त जानकारी न होने के कारण पुलिसकर्मी हल्की धाराएं लगा देते है। इससे अपराधियों को उनके अपराध की सजा नहीं मिल पाती है। इतना ही नहीं मामले न्याय पाने के लिए पीड़ित पुलिस दफ्तरों के चक्कर लगाया करते दिखते है।

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बीते दिनों नए दरोगाओं की भर्ती प्रदेश सरकार के आदेश पर हुई थी। इसके साथ ही कुछ की पदोन्नति कर उन्हे दरोगा बनाया गया था। आलम यह है कि उन दरोगाओं को पर्याप्त धाराओं की जानकारी है ही नहीं। इसी वजह से वह गंभीर धाराओं के मामले में भी मामूली धाराएं लगाकर मामले को रफादफा कर देते है। धाराओं के खेल के कारण पीड़ितों को न्याय नहीं मिल सका और शातिरों को उनके अपराध की सजा। उसके पीछे यही कारण है कि धाराओं के बारे में पता न होना और सीनियर से न पूंछना। कई बार तो कोतवाल, एसओ ही नहीं बल्कि पीपीएस अफसर भी धाराएं नहीं बता पाते।

इनसेट

..और अपराधियों को मिल जाती है जमानत

कई बार धाराओं की पर्याप्त जानकारी न होने के कारण मामला हल्की धाराओं में दर्ज हो जाता है। इसके पीछे एक वजह यह भी होती है कि मुकदमा दर्ज करने वाले को पता ही नहीं होता है कि किन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत करना है। इस कारण सख्त कार्रवाई न होने के कारण अपराधियों को आसानी के बेल मिल जाती है।

यह है वास्तविकता

किस धारा में कितनी सजा है, कहां लगाई जाती है, उससे कितना प्रभाव पड़ेगा। जैसा कि घर में घुसकर मारपीट और तोड़फोड़ करने में धारा 452 का प्रयोग होना चाहिए। लेकिन कोतवाल और एसओ इस धारा से पल्ला झाड़ते हुए 151 में आरोपियों का चालान कर देते है।

विवेचनाओं में गड़बड़झाला

हल्की धाराओं में कार्रवाई होती है और जब विवेचना की बात आती है तो धाराओं को जोड़ने का सिलसिला शुरू हो जाता है। क्योंकि विवेचक को विवेचना के दौरान पता चलता है कि मामले में कौन की धारा लगनी थी और कौन सी लगा दी गई है। इसका फायदा विवेचक पूरी तरह से लगाता है।

इनकी सुनें

'अगर धाराओं के संबंध में नए दरोगाओं को जानकारी नहीं है तो उन्हे कार्यशाला आयोजित कर जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही कोतवाली, थाने और रिपोर्टिग चौकियों पर धाराओं की किताब रखे जाने के निर्देश दिए जाएगे।'

- एन. कोलांची, पुलिस अधीक्षक, रायबरेली।


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