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तड़प की वजह बना रोशनी का जरिया

By Edited By: Published: Wed, 27 Aug 2014 06:20 PM (IST)Updated: Wed, 27 Aug 2014 06:20 PM (IST)
तड़प की वजह बना रोशनी का जरिया

अमेठी,जागरण संवाददाता: बिजली को लेकर लोगों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। लोगे बेहाल होकर प्रदर्शन पर मजबूर हैं। लेकिन जिम्मेदार व्यवस्था बदलने के बजाए उसे नजर अंदाज किए बैठे हैं। बुधवार को जहां दिन भर गांवों में लोग तड़पते रहे। वहीं शहर में हल्की राहत महसूस हुई। वहीं एक दिन पहले ग्रामीणों द्वारा पीठीपुर उपकेंद्र पर किए गए प्रदर्शन के दौरान झड़प करने वालों पर कार्रवाई के लिए विद्युतकर्मी ही हड़ताल पर आ गए।

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दो दिन बाद दिन में नसीब हुई बिजली

दो दिन बाद शहर में दिन में बिजली के दर्शन हो गए। जिससे शहरवासियों को काफी राहत पहुंची। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में हाल जस के तस हैं। यहां अब तक व्यवस्था में परिवर्तन नहीं हो सका है।

पूरा जिला इस समय जबरदस्त बिजली संकट से जूझ रहा है। दो दिन से पावर हाऊस में काम का बहाने पूरे दिन कटौती की जा रही थी। कटौती से शहर वासी बिलबिलाए हुए थे। हालांकि बुधवार को दोपहर साढ़े बारह बजे के करीब बिजली के दर्शन हुए। जिससे लोगों ने काफी राहत महसूस की। वहीं गांवों में पुराना हाल ही जारी रहा। दिन में बमुश्किल एक या दो घंटे बिजली मिल सकी। रात में एक बजे के करीब बिजली मिल रही है। एक बजे आई बिजली सुबह छह बजे ही गुल हो जाती है। यानी दस घंटे की सप्लाई में महज पांच से छह घंटे बिजली ही मिल पा रही है। बिजली की इस व्यवस्था से लोग परेशान हैं। लेकिन उन्हें समस्या से निजात नहीं मिल पा रही है। बिजली कटौती की वजह से सारे उपकरण बेकार पड़े हैं।

नलकूप ठप्प,किसान परेशान

किसानों को इस समय पानी की सख्त आवश्यकता है। पानी के अभाव में किसानों की धान की फसल सूख रही है। बिजली न मिल पाने की वजह से नलकूपों से सिंचाई नहीं हो पा रही है।

विद्युत मजदूर पंचायत ने किया प्रदर्शन

अब तक जहां बिजली को लेकर आमजन क्षुब्ध और प्रदर्शनरत थे। वहीं मंगलवार को पीठीपुर उपकेंद्र पर ग्रामीणों के हंगामे और हिंसा का शिकार हुए जेई के पक्ष में विद्युत मजदूर पंचायत के बैनर तले 132 केवी उपकेंद्र पर पहुंचकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में संविदा कर्मी और सभी अवर अभियंता मौजूद रहे। कर्मियों का आरोप है कि बिजली की कटौती ऊपर से हो रही है। लेकिन हम लोगों को जनता का कोपभाजन बनना पड़ रहा है। जिम्मेदारों ने हमला करने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि जब तक हमलावरों की गिरफ्तारी नहीं होती है कोई काम पर नहीं जाएगा। पंचायत के सदस्यों ने सभी उपकेंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने की मांग की। साथ ही घेराव की स्थिति में अधिशासी अभियंता को ही मौके पर जाने की मांग की। इस मौके पर राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के जिलाध्यक्ष राकेश यादव,विद्युत मजदूर पंचायत के अध्यक्ष एसएन सिंह,मंत्री विजय कुमार श्रीवास्तव समेत कई अवर अभियंता व संविदाकर्मी मौजूद रहे।

बिजली ने रुलाया अब नहरें भी दे गई दगा

मुसाफिरखाना,संवादसूत्र: शासन प्रशासन की उलट नीतियों ने किसानों की नींद उड़ा दी है। पहले बिजली का संकट जिसके चलते धान की नर्सरी बर्बाद हो गई है। अब जब किसानों ने जैसे तैसे जोर जुगाड़ से धान की नर्सरी खेतो में बैठा दिया तो अब नहरें भी दगा दे रही हैं। ऐसे में अन्नदाता के माथे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही हैं।

जुलाई व अगस्त के आधे माह यानि डेढ माह में शारदा सहायक खंड 49 व शारदा सहायक खंड 50 में मात्र 11 दिन पानी चला है। जबकि सरकारी आंकड़े में पूरे माह पानी लबालब रहा है। तहसील दिवस में फरियादियों ने लिखित शिकायत की तो प्रशासन कुंभकरणी नींद से जागा और आनन फानन खंड 49 में पानी छोड़ दिया। बीत पांच अगस्त से खंड 49 शारदा नहर में पानी तलहटी में ही चल रहा है। पानी न मिलने से नहर के किनारे ही सैंकड़ों एकड़ धान की फसल सूख रही है। स्वर्ण पदक विजेता किसान तेजनारायन पांडे, हल्ला पांडे, अरविंद तिवारी, शीतला प्रसाद, अनंत बहादुर समेत कई किसानों ने बताया कि इस वर्ष धान की फसल से मुनाफा तो दर लागत भी पाना मुश्किल है। क्षेत्र के प्रगति शील किसान विजय उपाध्याय कहते हैं कि इस वर्ष पानी न मिलने से धान की नर्सरी काफी महंगी पड़ी थी।


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