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महंगे डीजल से हरियाली बचाने की चुनौती

By Edited By: Published: Thu, 21 Aug 2014 05:22 PM (IST)Updated: Thu, 21 Aug 2014 05:22 PM (IST)
महंगे डीजल से हरियाली बचाने की चुनौती

रायबरेली, जागरण संवाददाता : बारिश हो नही रहीं है। फसलें मुरझा रही हैं और इन फसलों को देखकर किसान व्याकुल हो रहा है। अपने खेतों की हरियाली बचाने के लिए महंगे डीजल का सहारा लिया जा रहा है। किसानों की आह जरूर निकल रही है लेकिन उनकी पीड़ा मरता क्या न करता की कहावत के साथ समाप्त हो जाती है । अगस्त माह में किसानों ने बारिश को लेकर काफी अपेक्षाएं रखी थी लेकिन इंद्रदेव की अनुकंपा किसानों पर नही हुई । हालात यह हैं कि एक सप्ताह से बूंदाबादी के अलावा किसानों के फसल स्तर की बारिश नहीं हो सकी है । इस कारण किसानों के चेहरों में चिंता की लकीरें साफ तौर पर देखी जा सकती हैं।

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जिले में अब तक हुई वर्षा का हाल

जिले में अब तक हुई कुल वर्षा - 150 मिलीमीटर

माह जून में वर्षा- 24 मिलीमीटर

जुलाई में वर्षा - 80.2 मिलीमीटर

अगस्त में वर्षा - 48.35 मिलीमीटर

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नहरें भी सूखीं -

सरेनी :

जिले में नहरों से किसानों को राहत मिल रही थी लेकिन आंचलिक क्षेत्रों में नहरों में धूल उड़ रही हैं। बारिश में नहरों का यह हाल है । सरेनी, लालगंज, ऊंचाहार क्षेत्र की माइनरें चीख-चीख कर चिल्ला रही हैं । पर सुनने वाला कोई नहीं है। नहरों की टेल में पानी पहुंचाने को लेकर नहर विभाग भी चुप्पी साधे हुए है।

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किसानों की पीड़ा भला कौन जानें -

किसान गंगादीन की माने तों धान बटाई पर लगवाते हैं फिर भी डीजल का खर्च लगातार बढ़ रहा है। बारिश न होने के कारण किसानों की बदहाली बढ़ रही है ।

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किसान श्रीराम कहते हैं कि धान की फसल को तैयार कराने में दीवालिएपन जैसी स्थिति हो गई है । बरसात न होने के कारण कर्ज लेकर महंगा डीजल लाकर फसल को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

---------------------------किसान मुन्नू तिवारी कहते हैं कि इस बार धान की फसल काफी नुकसानदेह हो गई है। हजारों का डीजल हर रोज खर्च हो रहा है । बारिश अगर पर्याप्त हो जाती तो शायद फसल अच्छी होती

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किसान विंदादीन की माने तो एक माह से फसल को बचाने की चिंता खाई जा रही है आखिर कब तक किसानों को कर्ज से मुक्ति मिले जब इंद्रदेव स्वंय नाखुश हैं । महंगे डीजल ने हालत दिनों दिन खराब कर दी है ।

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किसान लालजी कहते हैं बारिश न होने पर किसानों की जेब केवल अपनी फसल को बचाने के चक्कर में खर्च हो रही है । इस वर्ष बारिश ने किसानों को कर्जदार बना दिया है।

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