अब तक नहीं बंटी नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें
रायबरेली, जागरण संवाददाता : सर्व शिक्षा अभियान की जुलाई माह में स्कूल खुलते ही हवा निकलने लगी है। परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को मिलने वाली नि:शुल्क पुस्तकें अब तक नहीं बंट पाई है। किताबें जिला मुख्यालयों से ब्लाक व एनपीआरसी केंद्रों तक भेज दी गई हैं। प्रधानाध्यापक और शिक्षक पुस्तकों का बच्चों में वितरण नहीं कर रहे हैं।
जुलाई से नवीन शिक्षा सत्र आरंभ हो चुका है। स्कूल खुलते ही बच्चे स्कूल पहुंचने लगे हैं परंतु पाठ्य पुस्तकों के अभाव में दिन भर समय व्यतीत करते हैं। पाठ्य पुस्तकों के अभाव का बहाना पाकर स्कूलों के अध्यापक भी दिन भर गप्पे मारते नजर आ रहे हैं। जब सर्व शिक्षा अभियान के तहत परिषदीय विद्यालयों को मांटेसरी की तुलना में सुविधा जनक बनाने की कोरी कल्पना विभाग कर रहा है ऐसे में अभियान की सच्चाई सामने आ गयी। सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आयी पाठ्य पुस्तकों के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। न ही वितरण में रुचि ले रहे हैं। नि:शुल्क ड्रेस वितरण में जरूर शिक्षक व प्रधानाध्यापक सक्रिय वजह जाएंगे। वजह बताने की आवश्यकता नहीं है, यह सभी समझते हैं।
जिले में आवश्यकता के मुताबिक किताबें पहुंचने का दावा किया गया है। इसके अलावा 17 जुलाई किताबें बीआरसी व एनपीआरसी पहुंचा दी गई है। प्राइमरी स्तर पर एसएसए में पांच लाख नवासी हजार निन्नयानबें किताबें व अटठारह लाख छह हजार तीन सौ सैंतालिस किताबें मिली है। इतने की ही मांग की गई थी। इसी प्रकार जूनियर स्तर पर आठ लाख सैंतालिस हजार एक सौ सैंतालिस पुस्तकें मिली है, इतनी ही डिमांड थी।
पुस्तक वितरण प्रभारी विनय सिंह ने कहा कि शासन से पुस्तकें एक सप्ताह देर से प्राप्त हुई। इस कारण वितरण में विलंब हुई। सभी एनपीआरसी तक किताबें पहुंचा दी गई हैं। प्रधानाध्यापकों को किताबें उठा कर बांटने के लिए कहा गया है।