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आडवाणी का टोटका अमेठी फतह, तो समझो दिल्ली मिली

By Edited By: Published: Thu, 17 Apr 2014 06:33 PM (IST)Updated: Thu, 17 Apr 2014 06:33 PM (IST)
आडवाणी का टोटका
अमेठी फतह, तो समझो दिल्ली मिली

दिलीप सिंह,अमेठी: अमेठी की सियासत की दिल्ली सल्तनत पर अलग ही हनक है। इतिहास गवाह है कि जिस दल के योद्धा ने अमेठी के दुर्ग को फतह किया, दिल्ली की सत्ता पर उसी का परचम लहराया। इस मिथक का जिक्र 1998 के आम चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने खुद किया था।

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1998 के लोक सभा चुनाव में अमेठी से भाजपा प्रत्याशी रहे डा. संजय सिंह के समर्थन में जनसभा कर रहे आडवाणी ने अमेठी का इतिहास बताते हुए कथा कि जिस पार्टी का उम्मीदवार यहां जीता, दिल्ली में उसकी ही सरकार बनी। उनकी बात पर गौर करें तो ज्यादातर मौकों पर ऐसा ही हुआ है। मात्र 1996 और 1999 ही इसका अपवाद रहा। तब कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा और सोनिया गांधी यहां से जीते और दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी। यह बात और है कि पहली बार बनी भाजपा सरकार मात्र 12 दिनों में धराशाई हो गई। बाद में कांग्रेस के समर्थन में तीसरे मोर्चे की सरकार बनी। 1977 की जनता लहर में जनता पार्टी के प्रत्याशी रवींद्र प्रताप सिंह जीते तो दिल्ली में उस दल की सरकार बनी। इस बार अमेठी में कांग्रेस युवराज राहुल गांधी के मुकाबले भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्मृति ईरानी व आप के कुमार विश्वास चुनावी मैदान में है। राजनीतिक समीक्षक भी इस बार अमेठी के सियासी महासंग्राम को काफी दिलचस्प मान रहे है। अब तो देखना यह है कि लालकृष्ण आडवाणी का टोटका इस बार केंद्र में कितना असर दिखाता है।


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