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आज पूजा पंडालों में विराजेंगी शैलपुत्री

प्रतापगढ़ : शारदीय नवरात्र को लेकर शुक्रवार को दिन भर मंदिरों, घरों में व्रत और पूजा की तैयारी चलती

By Edited By: Published: Sat, 01 Oct 2016 12:40 AM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2016 12:40 AM (IST)
आज पूजा पंडालों में विराजेंगी शैलपुत्री

प्रतापगढ़ : शारदीय नवरात्र को लेकर शुक्रवार को दिन भर मंदिरों, घरों में व्रत और पूजा की तैयारी चलती रहीं। देर रात तक बाजारो में चहल-पहल रही। लोग पूजन सामग्री, फल आदि की खरीदारी करते रहे।

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शारदीय नवरात्र की तैयारियों को शुक्रवार की देर रात तक अंतिम रूप दिया जाता रहा। शहर से लेकर गांव तक शैलपुत्री की स्थापना के लिए श्रद्धालु मूर्तियां लेने पहुंच रहे थे। शहर के बाबागंज, जैन गली, पूरे पितई, पीडब्ल्यूडी के पास श्रद्धालु सुबह से लेकर देर रात माता के जयकारे लगाते रहे और मूर्तियों को वाहनों में रखकर पूजा पंडालों में ले जाते रहे। शुक्रवार की सुबह से ही पूरे जिले में माता का जयकारा लग रहा था। शहर से लेकर गांव तक सैकड़ों की संख्या में पंडाल सजाए गए हैं।

घरों में कलश स्थापना के लिए महिलाएं तैयारी करती नजर आई। शहर के बाबागंज, अंबेडकर चौराहा, चौक घंटाघर, चिलबिला के अलावा गांव के बाजारों में भीड़ रही। कलश, पूजन सामग्री, नारियल, चुनरी, फल आदि की खरीदारी की जाती रही।

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कलश स्थापना का समय

प्रतापगढ़. : शारदीय नवरात्र का पहला दिन शनिवार को है। पंडित बैजनाथ मिश्र ने बताया कि इस दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 17 मिनट से 7 बजकर 29 मिनट तक है। कलश स्थापना का मुहूर्त प्रतिपदा में पड़ रहा है। प्रतिपदा तिथि एक अक्टूबर को भोर में पांच बजकर 41 मिनट से शुरू होकर दो अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी।

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ऐसे करें कलश स्थापना

प्रतापगढ़ : कलश स्थापना के दौरान सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर लें। लकड़ी की चौकी रख कर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। चावल रखते हुए सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करें। एक मिट्टी के पात्र में जौ बोएं। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। कलश के मुख पर कलावा बांध कर उसमें सुपारी, सिक्का डालकर आम के पत्ते रखें। कलश के मुख को चावल से भरी कटोरी से ढक दें। एक नारियल पर चुनरी लपेट कर कलावा से बांधें और चावल की कटोरी पर रख दें। सभी देवताओं का आह्वान करें और धूप दीप जलाकर कलश की पूजा करें। भोग लगाकर मां की आरती और चालीसा का पाठ करें।


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