ट्रैक पर फंसा ट्रक, बाल-बाल बची इंटरसिटी
प्रतापगढ़ : लखनऊ वाराणसी रेलखंड पर रानीगंज के आमापुर बेर्रा गांव में मानव रहित रेलवे क्रां¨सग पर रेत
प्रतापगढ़ : लखनऊ वाराणसी रेलखंड पर रानीगंज के आमापुर बेर्रा गांव में मानव रहित रेलवे क्रां¨सग पर रेता लदा एक ट्रक सोमवार सुबह ट्रैक में फंस गया। उसी दौरान रायबरेली से जौनपुर जा रही इंटरसिटी ट्रेन दुर्घटना का शिकार होने से बाल-बाल बच गई। गेटमित्र ने ट्रक को फंसा देख लाल झंडी दिखाकर ट्रेन को रुकवा दिया। सूचना पर रानीगंज व फतनपुर पुलिस के साथ रेलवे के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। करीब पौने दो घंटे की मशक्कत के बाद ट्रैक खाली कराया जा सका।
सोमवार को रायबरेली-जौनपुर इंटरसिटी दांदूपुर रेलवे स्टेशन पर 9:06 मिनट पर पहुंची और यहां से आगे के लिए रवाना हुई। स्टेशन से ट्रेन करीब पांच किमी आगे बढ़ी तो आमापुर बेर्रा में मानव रहित रेलवे क्रा¨सग मार्ग पर रेता से लदा ओवरलोड ट्रक ट्रैक पर फंसा था। इस बीच वहा मौजूद गेटमित्र सुरेश कुमार ने ट्रेन के आगे दौड़कर लाल झंडी दिखाया तो चालक पीके ¨सह ने ट्रेन को करीब 50 मीटर पहले ही रोक दिया। इससे बड़ा हादसा टल गया। सूचना पर रानीगंज फतनपुर पुलिस पहुंची और ट्रक से रेत खाली कराकर निकलवाने का प्रयास किया लेकिन ट्रक नहीं निकल सका। रेलवे के रेलपथ निरीक्षक रमाशंकर चौधरी पहुंचे और ग्रामीणों के साथ मिलकर जेसीबी मशीन से ट्रक को ट्रैक से खींचकर निकालने में सफल रहे। करीब सुबह 10:46 बजे ट्रैक खाली हो सका। तब जाकर ट्रेन जौनपुर के लिए रवाना हुई। करीब पौने दो घंटे ट्रेन खड़ी रही और रेल यातायात प्रभावित रहा। नीलांचल एक्सप्रेस सुवंसा में खड़ी रही तो वीपीएल ट्रेन गौरा में खड़ी रही। प्रतापगढ़ जंक्शन से आरपीएफ के सब इंस्पेक्टर एपी यादव ने मौके पर पहुंच कर ट्रक को कब्जे में लिया और रिपोर्ट दर्ज करने की बात कही।
ट्रेन को बीच में ही खड़ी होने से यात्री भूख प्यास से जहां बिलबिला उठे। वहीं कई यात्रियों की मुंबई व दूसरे स्थानों पर जाने की ट्रेनें भी छूट गई। कुछ यात्री सुरक्षित होने पर यही कहते नजर आए कि भगवान ने ही बचाया।
लखनऊ-वाराणसी रेल मार्ग पर दांदूपुर व गौरा रेलवे स्टेशन के मध्य थरिया व आमापुर बेर्रा गांव की सीमा पर रेलवे क्रा¨सग है। यहां आज तक फाटक नहीं लगा है। रानीगंज थाना क्षेत्र के गाजी का बाग से पक्की सड़क रेलवे क्रा¨सग से होकर गुजरी है जो बाहीपुर गांव के पास लच्छीपुर मार्ग में जाकर मिलती है। आमापुर बेर्रा, केशवापुर, थरिया, डुइया, अमहटा, रहेटुआ परसरामपुर, नंदलाल का पूरा, कौलापुर, परसामऊ, चांदपुर, नसीरपुर, धनुंहा, मीरपुर, खुशहालगढ़, भवानीगढ़, सुल्तानपुर सहित दर्जनों गांवों के लोगों का आवागमन इस मार्ग से होता है। दिन रात दुपहिया व चार पहिया वाहन भी यहां से गुजरते हैं। ईंट भट्टों के कारण यह मार्ग बेहद व्यस्त माना जाता है। स्कूली बच्चे भी जान हथेली पर रखकर रेलवे क्रा¨सग पार कर रहे हैं। शादी, विवाद लगन में तो यहां से गुजरने वाले वाहनों की भरमार रहती है।
इस व्यस्त मार्ग पर रेलवे क्रा¨सग पर साल दर साल कोई न कोई छोटी-बड़ी दुर्घटना हो ही जाती है। 12 मई 1993 को इस रेलवे क्रा¨सग पर हुई दुर्घटना में 14 लोगों की मौत हो गई थी। बताया जाता है कि रानीगंज थाना क्षेत्र के आमापुर बेर्रा गांव निवासी पूर्व प्रधान उदयभान ¨सह के यहां 11 मई 1993 को मान्धाता थाना क्षेत्र से शादी के लिए बारात आई थी। सबकुछ ठीकठाक बीता किन्तु जब दूसरे दिन 12 मई 1993 को बरात की विदाई हुई और जीप पर सवार बाराती घर वापस लौट रहे थे कि जीप जैसे ही आमापुर बेर्रा रेलवे क्रा¨सग पर पहुंची नीलांचल एक्सप्रेस की टक्कर से जीप के परखचे उड़ गए। इसमें सवार करीब 14 लोग जीप चालक व नर्तकी सहित मारे गए। घटना के बाद यहां रेल विभाग के अफसरों का मजमा लगा। लोगों की मांग पर फाटक लगाने का आश्वासन भी मिला। इस भीषण घटना के बाद भी दुर्घटना का आलम नहीं थमा। पहली मई 2007 को इलाहाबाद मऊआइमा निवासी युवा दंपति आमापुर बेर्रा गांव बाइक से ससुराल जा रहा था कि इसी रेलवे क्रा¨सग पर इंटरसिटी ने दोनों को रौंद दिया। इसमें दोनों मौत की नींद सो गए। संडौरा गांव के एक युवक की भी इसी स्थान पर ट्रेन की टक्कर से मौत हुई थी। चर्चा है कि यहां साल दर साल कोई न कोई साइकिल व पैदल सवार भी ट्रेन की चपेट में आ ही जाता है। दुर्घटना के बाद क्षेत्रीय ग्राम्य युवा संघ के तत्वाधान में रेलवे क्रा¨सग पर फाटक व हाल्ट स्टेशन को लेकर रामापुर बाजार में कई बार रेल रोको आंदोलन व धरना दिया गया। इसमें लोगों ने लाठियां भी खाई लेकिन फाटक आज तक नहीं लग सका है।