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ये आहट तो बरबादी का है

प्रतापगढ़ : भादों में मौसम के सख्त तेवर से किसान के चेहरे पर ¨चता की लकीरें दिखाई देने लगी है। रवि क

By Edited By: Published: Thu, 03 Sep 2015 11:39 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2015 11:39 PM (IST)
ये आहट तो बरबादी का है

प्रतापगढ़ : भादों में मौसम के सख्त तेवर से किसान के चेहरे पर ¨चता की लकीरें दिखाई देने लगी है। रवि की फसल में नुकसान झेल चुके किसानों को खरीफ के फसल से काफी आशा थी। इसके चलते किसानों अपनी जमा पूंजी भी खरीफ की खेती में लगाकर नुकसान के भरपाई की उम्मीद लगाई थी, लेकिन मौसम ने किसानों को दगा दे दिया है। इससे वे परेशान है।

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बारिश के आकड़े पर निगाह डाला जाया तो विगत वर्ष के जून से अगस्त तक के मध्य इस वर्ष के जून से अगस्त तक के मध्य अधिक बारिश हुई है, लेकिन नियमित बारिश न होने से किसानों के फसलों को पानी की पूरी खुराक नहीं मिल पा रही है। देखा जाए तो वर्ष 2014 के जून से अगस्त तक के मध्य 456 मिलीमीटर बारिश हुई। जबकि इस वर्ष 2015 में जून से अगस्त तक 478 मिलीमीटर बारिश सरकारी आकड़े में रिकार्ड की गई है। रिकार्ड आकड़े पर नजर डाला जाया तो विगत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष अगस्त माह के अंत तक 22 मिलीमीटर बारिश अधिक हुई है, लेकिन नियमित बारिश न होने एवं धूप में सख्ती के चलते बारिश का पानी खेतों में सूख जा रहा है। जिससे खेत फट जा रहे है। किसान अब सितंबर माह के बारिश पर आश्रित है। आकड़े बताते है कि वर्ष 2014 में 5 सितंबर से शुरु हुई बारिश 7 सितंबर, 10 सितंबर, 11 सितंबर, 12 सितंबर व 13 सितंबर के बाद तक हुई। जो संपूर्ण 112 मिलीमीटर रिकार्ड की गई थी।

क्षेत्र के किसान रबी वर्मा, जगन्नाथ पटेल, देवराज वर्मा, कुचई हरिजन, चंद्रभूषण तिवारी, सुरेश चंद्र तिवारी, दोस्त मोहम्मद खान का मानना है कि यदि सितंबर माह में बारिश अच्छी होगी तो अब भी धान के साथ खरीफ सीजन की अन्य फसले संभल जाएगी। इससे रबी के सीजन में हुए नुकसान की भी भरपाई हो जाएगी।

बताते चले कि रवि सीजन के फसलों को हुए नुकसान का सरकारी मुआवजा पाने के बाद किसानों उसकी भरपाई के लिए खेतों की तैयारी में जी जान से जुट गए थे, और मिली मुआवजे की राशि को किसानों की खरीफ की अच्छी फसल पाने के लिए खेतों की तैयारी में खर्च कर दी। अच्छे किस्म के धानों की नर्सरी डालकर किसानों ने उसे ट्यूबवेल से सींच कर बड़ा किया और अपेक्षाकृत बारिश कम होने के बाद भी भविष्य के बारिश की आशा पर किसानों ने खेतों में ट्यूबवेल से पानी भरकर धानों की रोपाई की।


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