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कस्तूरबा विद्यालय में बीमारी का हमला

प्रतापगढ़ : क्षेत्र पंचायत पट्टी के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय बसौली की कई छात्राओं को बीमारी ने

By Edited By: Published: Thu, 03 Sep 2015 11:36 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2015 11:36 PM (IST)
कस्तूरबा विद्यालय में बीमारी का हमला

प्रतापगढ़ : क्षेत्र पंचायत पट्टी के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय बसौली की कई छात्राओं को बीमारी ने गिरफ्त में ले लिया है। स्वास्थ्य सुरक्षा का इंतजाम न होने से कई छात्राएं नियमित रूप से सिरदर्द, चक्कर आना, बुखार सहित अन्य रोगों से ग्रसित हैं। शिकायत के बाद भी छात्राओं के नियमित इलाज का बेसिक शिक्षा विभाग ने कोई बंदोबस्त नहीं किया है। आये दिन अचानक बीमार होने पर छात्राओं के अभिभावकों को बुलाकर उनसे इलाज कराया जाता है।

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करैला बाजार स्थित इस विद्यालय में कुल 100 छात्राएं पंजीकृत हैं। यहां 30 छात्राएं निवास करती हैं। कक्षा 6 से 8 तक के इस विद्यालय में क्षेत्र के कई गांवों की छात्राओं ने पढंने के लिये यहां अपना नाम लिखाया है। यहां रहकर वह शिक्षा ग्रहण करती हैं। इलाज के अभाव का यहां यह आलम है कि यहां रहकर पढ़ने वाली छात्रा अंजू सरोज को आंखों से कम दिखाई पड़ता है। इसी तरह यहां निवास करने वाली छात्रा पूजा गौतम के पैरों में काफी दिनों से तकलीफ है लेकिन उसके इलाज के प्रति विभाग के लोग गंभीर नहीं है। इसके अलावा मेहनाज बानों के सिर में दर्द रहता है। शबाना अंसारी को बुखार की शिकायत है, रिया गौतम के भी सिर में दर्द रहता है, काजल गुप्ता भी सिर दर्द से परेशान रहती है। यह तो उदाहरण हैं। ऐसे ही विद्यालय की कुछ और छात्राओं को किसी न किसी बीमारी ने जकड़ा है लेकिन उनको इलाज नहीं मिल पा रहा है। इलाज के अभाव में उनका मर्ज बढ़ता जा रहा है।

विद्यालय से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर सेठ पन्नालाल खंडेलवाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन यहां से विद्यालय में स्वास्थ्य परीक्षण के लिये डाक्टरों की टीम नहीं जाती। ऐसे में छात्राओं के इलाज का खर्च अभिभावकों को उठाना पड़ता है। वार्डन कंचन लता का कहना है कि सीएचसी पट्टी से डाक्टरों की टीम बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए तीन महीने में एक बार आती है। बच्चों के स्थाई इलाज का यहां कोई इंतजाम नहीं है।

सीएचसी पट्टी अधीक्षक महेंद्र कुमार का कहना है कि कस्तूरबा गांधी विद्यालय बसौली में छात्राओं के स्वास्थ्य संबंधी देखरेख की जिम्मेदारी अस्पताल के डाक्टरों के एक टीम को दी गई है। वहां यदि छात्राओं को कोई बीमारी स्थाई रूप से है तो इसके लिए डाक्टरों की टीम शुक्रवार को भेजूंगा।


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