तबादले पर तबादले, विकास में ब्रेकर
प्रतापगढ़ : जिले के विकास भवन के मुखिया के तबादले-दर-तबादले विकास की राह में ब्रेकर बन रहे हैं। कोई सीडीओ एक तो कोई तीन महीने में स्थानांतरित हो जा रहा है। इससे विकास कार्य गति नहीं पकड़ पा रहे हैं।
बेल्हा में राजनीतिक धुरंधरों की भरमार है। शख्सियतें ऐसी ऐसी हैं कि सरकार बनाने, गिराने व चलाने तक के दावे करती हैं। इसके बाद भी जिला अभी तमाम मूलभूत सुविधाओं को तरसता है। विकास के नजरिए से पिछड़े जिले में शुमार बेल्हा के साथ शासन भी मजाक कर रहा है। बेरोजगारी से जूझते जिले में विकास की योजनाएं रेंगती हैं। इसमें सबसे बड़ी वजह यह है कि मुख्य विकास अधिकारी की कुर्सी पर कोई भी अफसर साल भर भी नहीं जम नहीं पा रहा है। इधर सीडीओ ने कामकाज संभाला, जिले की नब्ज पर हाथ रखा कि उधर तबादले का फरमान आ पहुंचता है। इससे विकास के कार्य गति नहीं पकड़ पा रहे हैं।
महज छह महीने में चार-चार सीडीओ आए व गए। इस साल के फरवरी माह से अगस्त तक की अवधि पर ही नजर डालें तो यह बात साफ हो जाती है कि विकास परियोजनाओं की फाइलें डंप हों तो आश्चर्य की बात नहीं। देखा जाए तो 19 फरवरी को आशुतोष निरंजन जिले के सीडीओ बने। अभी वे जिले को समझ ही रहे थे कि 13 मार्च को उनका तबादला शासन ने कर दिया। इसके बाद तत्कालीन डीएम महेंद्र कुमार ने सीडीओ का अतिरिक्त चार्ज लिया। इनके बाद आए सीडीओ राम अरज मौर्य का कार्यकाल भी बहुत अल्प रहा। फिर आए आरपी सिंह, जो 30 मार्च से लेकर 10 जुलाई तक ही यहां रह सके। उनका भी शासन ने तबादला कर दिया। इनके बाद रमाशंकर मौर्य यह पदभार ग्रहण किया। यहां वह कार्य कर पाने में खुद को असहज पा रहे थे। इसी बीच उनके बेटे की हादसे में दर्दनाक मौत हो गई। उन्होंने अवकाश लिया तो उनका भी शासन ने तबादला कर दिया।
इस तरह ताबड़तोड़ तबादलों से जिले में विकास योजनाओं की फाइलें उस गति से आगे नहीं सरक पा रही हैं, जिस गति से सरकनी चाहिए। प्रभारी सीडीओ के तौर पर अफसर बड़े फैसले करने से हिचकते हैं। केवल का चलाने भर की फाइलों पर ही चिड़िया बैठाते हैं। निरीक्षण, जांच, कार्रवाइयां सब पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
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लोहिया ग्राम व मनरेगा पर सीधा असर
प्रतापगढ़ : मुख्य विकास अधिकारियों के तबादलों से वैसे तो सभी संबंधित विभागों पर असर पड़ रहा है, लेकिन सबसे अधिक असर शासन की प्राथमिकता वाली योजनाओं पर है। लोहिया समग्र ग्राम व मनरेगा की करीब 60 फाइलें दस्तखत के अभाव में अटकी हैं। इस समस्या के चलते संबंधित विभागों के अधिकारी व कर्मचारी सांसत में हैं कि कहीं शासन यह हकीकत जाने बिना उन पर न गाज गिरा दे।
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अब आ रहे हैं मनीष
प्रतापगढ़ : जिले को फिर नए सीडीओ का इंतजार है। शासन ने इस बार मनीष वर्मा को प्रतापगढ़ का सीडीओ बनाया है। अभी वह आए नहीं हैं, लेकिन इस बात को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि देखना है नए साहब कितने दिन जिले में रहते हैं।