सिर्फ देखने भर को है 'सरकारी आंखें'
प्रतापगढ़ : सरकारी कर्मचारियों को कार्य के प्रति तत्पर बनाने व अनियमितताओं पर नजर रखने को लगे सीसीटीवी कैमरे अपने मकसद में कामयाब नहीं हो रहे हैं। कहने को पूरे परिसर में चल रही हर तरह की गतिविधियों कैमरे में कैद हो रही हैं लेकिन यह महज एक भुलावा है।
जिला अस्पताल की बात करें तो यहां इमरजेंसी, ओपीडी, ब्लड बैंक व पोस्टमार्टम हाउस में कैमरे लगे हैं। कुछ खंभे तो कुछ पेड़ पर टंगे हुए हैं। इनकी क्षमता को कम कहें या सीमित, लेकिन इतना तो सही है कि सब कुछ सही नहीं हैं। उदाहरण के लिए अस्पताल परिसर में डा. पीएम गुप्ता के घर चोरी हुई, जिसका कोई फुटेज कैमरे में कैद नहीं हो सका। अस्पताल परिसर में ही एक सप्ताह पहले बेगम वार्ड के उचक्के ने बलीपुर के सचिन का मोबाइल चुराने का प्रयास किया। उसे मारापीटा गया व पुलिस के हवाले किया गया, लेकिन इसका विवरण भी कैमरे में नहीं मिला। ऐसे ही सोमवार व गुरुवार को विकलांग प्रमाण पत्र बनने के दौरान हंगामा होता है। इसमें बाहरी लोग भी अपनी दाल गलाते हैं, यह हंगामा भी कैमरे के फुटेज में नहीं दिखा। उधर महिला अस्पताल में तमाम मरीजों के साथ होने वाली ठगी भी कैमरे में जाने क्यों नहीं आती। इसके चलते कोई खास फायदा इन कैमरों से नहीं हो रहा है।
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अस्पष्ट रहा चेहरा
प्रतापगढ़ : जिला अस्पताल में पिछले सप्ताह कबाड़ चुरा रहे व्यक्ति को कैमरे के स्क्रीन पर देखा गया, लेकिन चेहरा अस्पष्ट रहने से उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या कैमरे अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं।
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कैमरे लगे हैं व काम भी कर रहे हैं, लेकिन रेंज के बाहर की चीजें वे कैसे देख सकते हैं। जितनी क्षमता है, उस तरह से वे रेस्पांस दे रहे हैं। कुछ कैमरे और लगाए जाने चाहिए। ''
-डा. एसी त्रिपाठी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
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