बदरा नहीं अब बरसे नैन ..
पीलीभीत : शिवम सक्सेना के एकड़ भर धान को बीमारियों ने आगोश में ले लिया है। धान की पत्तियां झुलस रही हैं। इसलिए हर चौथे दिन खेत में पानी भरते हैं। फिर भी जमीन की प्यास नहीं बुझती। लिहाजा डीजल, खाद, कीटनाशक और निराई में ही उलझे रहते हैं। शिवम की इस हालत की वजह मौसम की बेरुखी है।
बेशक शासन ने अभी अपने पैरामीटर से सूखे के हालात नापने की पेशकश नहीं की है। पर किसानों के लिए यह भयंकर सूखा है। बरसात के आंकड़े इसकी पुष्टि कर रहे हैं। जिले में सामान्य बारिश का औसत 1159 मिली मीटर है। जबकि अब तक वर्ष महज 279.11 मिली मीटर ही हुई है। कम बारिश के हालात पिछले तीन सालों से बने हैं। गत वर्ष स्थिति थोड़ी बेहतर हुई। पर अबकी फिर मौसम किसानों को दगा दे गया। इसलिए धान की फसल में बीमारियां पनपने लगी हैं। बहरहाल अगर मौसम की स्थिति यही रही, तो हालात किसानों के हक में नहीं होंगे। इसलिए क्योंकि धान की फसल की कुछ बीमारियां सिर्फ बारिश से ही खत्म होती हैं।
बारिश के आंकड़ों पर नजर
- जिले में समान्य बारिश का लक्ष्य 1159 मिली मीटर
वर्ष बारिश मिली मीटर में
2010-11 1182
2011-12 502.74
2012-13 582.05
2013-14 795.04
वर्तमान स्थिति चौदह अगस्त तक 279.11
बारिश की कमी से पनप रही बीमारियां
1- तना छेदक कीड़ा : यह धान की बीच वाली गोप को सुखा देता है। इससे धान की बाली सफेद रंग की आती है। दाना नहीं होता।
नियंत्रण : फिप्रोनिल 5एससी एकड़ भर धान में चार सौ मिली लीटर का स्प्रे
2- शीथ झुलसा : यह बीमारी धान को जड़ से झुलसा देती है। फिर धान का पौधा सड़ने लगता है।
नियंत्रण : हेग्जाकोनाजोल, एकड़ भर में तीन सौ एमएल का स्प्रे करें
3- झोंका रोग : इसमें धान की पत्तियों पर नाव के आकार के धब्बे पड़ जाते हैं। कभी-कभी बालियों की गर्दन पर भी यह धब्बे पड़ते हैं।
नियंत्रण : ट्राईसाईक्लाजोल का स्प्रे करें
असंतुलन से बढ़ी मुसीबत
बारिश न होने की स्थिति में वातावरण का संतुलन भी गड़बड़ा रहा है। तापमान 34.4 है। जबकि यह 31 होना चाहिए था। आद्रता भी बढ़ रही है। अगले पांच दिन तक बारिश के आसार नहीं है। यह सब असंतुलन की वजह से हो रहा है। गत वर्ष अगस्त में 400 मिली मीटर बारिश हुई थी। जबकि अभी महज 89 नहीं है।
एचएस कुशवाहा
मौसम विज्ञानी, पंतनगर विवि