गतिरोध: मनोरंजन के साधन न होने का रंज
पीलीभीत: गांधी स्टेडियम में स्वीमिंग पूल बनकर तैयार है लेकिन एनओसी न मिल पाने की वजह से चालू नहीं हो पा रहा है। स्टेडियम में लाइटें लगाने का प्रस्ताव किया गया लेकिन वे भी नहीं लग सकीं। कई खेलों के कोच न होने से खिलाड़ियों को दिक्कतें हो रही हैं।
स्वीमिंग पूल चालू होने में हो रही देरी को लेकर पिछले साल दैनिक जागरण ने गतिरोध अभियान के तहत इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। तब खेल निदेशालय से एक्सपर्ट भेजकर स्वीमिंग पूल की तकनीकी जांच कराई गई। कुछ खामियां पाई गईं जिन्हें बाद में दुरुस्त करा लिया गया। इसके बाद शासन को फिर से रिपोर्ट भेजकर एनओसी मांगी गई है लेकिन अभी तक नहीं मिली। यह स्वीमिंग पूल मनोरंजन के लिहाज से तो महत्वपूर्ण है ही, इसके अलावा तैराकी की प्रतिभाओं को निखारने में भी अहम भूमिका निभाएगा। वर्ष-2006 में यह स्वीमिंग पूल बनाने को मंजूरी मिली थी। इसके लिए 1.93 करोड़ का बजट जारी हुआ। बाद में कुछ कार्य शेष रह जाने पर शासन ने 48 लाख का अतिरिक्त बजट जारी किया। इस सबके बावजूद शहर के लोगों को स्वीमिंग पुल का लुत्फ उठाने की सुविधा अभी तक नहीं मिल सकी है। स्टेडियम में लाइटें लगाने तथा विभिन्न खेलों के कोच की नियुक्तियों का प्रस्ताव भी शासन में अटका है। इससे खिलाड़ियों को निराशा हो रही है। हालांकि जिला क्रीड़ा अधिकारी संसाधनों को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।
तीनों के तीनों बंद हो गए
एक समय मनोरंजन के प्रमुख साधन रहे सिनेमाघर एक-एक करके बंद हो गए हैं। पहले जय टाकीज बंद हुई फिर नावेल्टी। अब लक्ष्मी टाकीज को भी बंद कर दिया गया। सिनेमा मालिकों का कहना है कि खर्चे पूरे नहीं हो रहे थे। ऐसे में घाटा उठाकर बिजनेस करने से अच्छा यही समझा कि सिनेमाघर बंद कर दिया जाए। बीसलपुर और पूरनपुर के सिनेमाघर भी बंद हो चुके हैं। लोग अब केबिल अथवा डिश एंटीना के सहारे ही मनोरंजन करते हैं।
बदहाल पड़ा है नेहरू ऊर्जा उद्यान
टनकपुर रोड पर तत्कालीन जिलाधिकारी जयशंकर मिश्र के समय में विस्तृत क्षेत्रफल में बनाया गया नेहरू ऊर्जा उद्यान वर्षो से बदहाल है। कभी यहां मनोरंजन के भरपूर साधन हुआ करते थे। प्रदेश में सपा सरकार बनने के बाद यहां नियुक्त हुईं जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी ने इस बदहाल पार्क का फिर से सौंदर्यीकरण कराने की योजना बनाई। अधिकारियों की टीम के साथ उन्होंने खुद इस पार्क का सर्वे किया। सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू हो पाता, इसके पहले ही उनका यहां से तबादला हो गया। इसके बाद अधिकारियों ने सौंदर्यीकरण कार्य से हाथ खींच लिया। इस समय शहर में ऐसा कोई पार्क नहीं है, जहां लोग कुछ देर के लिए भ्रमण कर मनोरंजन कर सकें।
यहां कागजी 'खेल'
पीलीभीत: शासन की पंचायत युवा खेल योजना के तहत ग्राम पंचायतों में क्रीड़ा श्री की नियुक्तियां कर संसाधन उपलब्ध कराए गए। मंशा थी कि गांवों में नियमित खेलकूद की गतिविधियां संचालित हों, जिससे ग्रामीण परिवेश से अच्छे खिलाड़ी निकल सकें लेकिन गांवों में नियमित खेलकूद नहीं हो रहे। दिखावे के लिए साल में एक बार ब्लाक एवं जिला स्तर पर प्रतियोगिताएं कराकर औपचारिकता पूरी कर ली जाती है।
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