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सर्जन विहीन है जिला अस्पताल

पीलीभीत : सूबे का नया निजाम सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं में अपेक्षित सुधार की कोशिशों में

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Apr 2017 10:19 PM (IST)Updated: Sun, 23 Apr 2017 10:19 PM (IST)
सर्जन विहीन है जिला अस्पताल
सर्जन विहीन है जिला अस्पताल

पीलीभीत : सूबे का नया निजाम सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं में अपेक्षित सुधार की कोशिशों में जुटा है,लेकिन विभागीय अधिकारी ही अड़ंगा डालने में लगे हैं। जिला अस्पताल में सर्जन का पद लंबे समय से रिक्त पड़ा है। लगभग साढ़े आठ महीने पहले मुख्य चिकित्साधिकारी से अधीन नियुक्त सर्जन को जिला अस्पताल में तैनात किए जाने का आदेश हो गया था लेकिन अभी तक तैनाती नहीं हो सकी है। जिला अस्पताल पहुंचने वाले आपरेशन योग्य मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल में ले जाने की सलाह दी जाती है।

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पिछले साल स्थानीय नेताओं ने जिला अस्पताल में कोई सर्जन नहीं होने पर लखनऊ जाकर शासन व स्वास्थ्य एवं चिकित्सा निदेशालय में पैरवी की तब 30 जुलाई 2016 को शासन के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अनुभाग के अनुसचिव जेएल यादव ने मुख्य चिकित्साधिकारी के अधीन उनके कार्यालय में एसीएमओ पद पर नियुक्त सर्जन डॉ. चंद्रमोहन चतुर्वेदी को जिला अस्पताल में और सीएमओ कार्यालय से ही अटैच उनकी पत्नी डॉ. विनीता चतुर्वेदी को जिला महिला अस्पताल में तैनात किए जाने के आदेश जारी किए। सीएमओ को आदेश की प्रतिलिपि भेजकर अनुपालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए, लेकिन अभी तक सर्जन डॉ. चतुर्वेदी की नियमित रूप से जिला अस्पताल में तैनाती नहीं हो सकी। सर्जन न होने की वजह से आपरेशन वाले मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में जाकर महंगा इलाज कराने को मजबूर होना पड़ रहा है। वैसे भी जिला अस्पताल चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। रेडियोलॉजिस्ट के दो पद हैं लेकिन एक ही तैनात है। यही स्थिति बाल रोग विशेषज्ञ की है। जिला अस्पताल में चिकित्सकों के 27 पद सृजित हैं लेकिन 17 ही कार्यरत हैं। दो ईएमओ न होने से इमरजेंसी सेवाएं भी प्रभावित होती हैं। जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरसी शर्मा कहते हैं कि सर्जन डॉ. चतुर्वेदी पर परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत नसबंदी आपरेशन करने की भी जिम्मेदारी है। वह सीएमओ से संबंध हैं। ऐसे में परिवार कल्याण कार्यक्रम के जब शिविर नहीं होते तो वह जिला अस्पताल में मरीजों के आपरेशन करते हैं।


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