रुकेंगे न थकेंगे, बदलकर रहेंगे हम
पीलीभीत : केंद्र सरकार ने जब स्वच्छता की मुहिम चलाई तो दैनिक जागरण भी उसमें भागीदार बना। जागरण ने ना
पीलीभीत : केंद्र सरकार ने जब स्वच्छता की मुहिम चलाई तो दैनिक जागरण भी उसमें भागीदार बना। जागरण ने नागरिकों में जागरूकता बढ़ाकर अपने घर ही नहीं बल्कि आसपास भी सफाई पर जोर दिया गया। अफसरशाही का रवैया इस मुहिम में आड़े आ गया। लोग भी लापरवाह होने लगे।
अफसरशाही के रवैये की वजह से ही शहर में फिर गंदगी बढ़ रही है। सफाई के लिए फिर से नगर पालिका परिषद के भरोसे रहने लगे हैं। लोग अपनी जिम्मेदारी को भूलने लगे हैं। जहां चाहा कूड़ा फेक दिया। यह देखने जानने की भी आवश्यकता नही समझी कि पालिका का सफाई कर्मचारी किस समय कूड़ा उठाने आता है। यह समझने की जरूरत महसूस नहीं करते कि कूड़ा उठ चुका है। अब बाद में जो कचरा फेंका गया, वह अगले दिन सुबह तब तक पड़ा रहेगा, जब तक पालिका का सफाई कर्मचारी उसे उठाने नहीं पहुंचता। स्वच्छता के प्रति लापरवाही के लिए सिर्फ नागरिक ही जिम्मेदार नहीं हैं बल्कि सरकारी दफ्तरों के कर्मचारी भी गंदगी फैलाने से नहीं चूकते। अगर जिला प्रशासन गंदगी फैलाने वाले सरकारी कर्मचारियों पर जुर्माना डालने का नियम लागू कर दें तो सुधार आ जाए। नागरिक हो चाहे सरकारी कर्मचारी, सभी को स्मार्ट सिटीजन बनकर करना यह है कि कूड़ा नियत स्थान पर ही डालें। सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान न करें। सड़क पर कूड़ा न फेंके और दूसरे लोगों को भी ऐसा न करने दें।
.. मगर शर्म इन्हें नहीं आती
कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें राह चलते गंदगी फैलाने में शर्म भी नहीं आती। बाजार में भीड़ के बीच होने पर भी धूम्रपान करना शुरू कर देते हैं। ये नहीं सोचते कि इससे उन लोगों को कितनी दिक्कत हो रही है, जो धूम्रपान नहीं करते। वहां पर कोई दमा का मरीज भी हो सकता है लेकिन ऐसे लोग अपनी तलब मिटाने के लिए दूसरों की परवाह ही नहीं करना चाहते। कार में सवार होकर कुछ खाते हुए जा रहे हैं। बाद में खाद्य पदार्थों के खाली पैकेट को कार की खिड़की का शीशा खोलकर सड़क पर उछाल दिया। केला खाते हुए पैदल जा रहे हैं और छिलके सड़क पर फेकने में संकोच नहीं है। उन छिलकों पर किसी अन्य राहगीर का पैर पड़ जाए तो फिसलकर वह सड़क पर गिर सकता है लेकिन छिलका फेकने वालों में इसका कोई फर्क नहीं पड़ता। घर या दुकान की सफाई करने के बाद दोपहर हो या शाम, सारा कूड़ा लाकर सड़क किनारे उड़ेल दिया और चलते बने। मंडी में फलों की आढ़त चलाने वाले सड़े, गले फल निकालकर वहीं ढेर लगा देते हैं। ग्राहक उसकी सड़न की बदबू से परेशान होते हैं, तो भी उन्हें इससे कोई मतलब नहीं।
साथी हाथ बढ़ाएं
स्वच्छता के प्रति जिम्मेदारी का भाव सभी नागरिकों में होना चाहिए। इसके लिए आम नागरिकों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए काम करेंगे। अपने साथ कम से कम नौ अन्य लोगों को जोड़ेंगे। प्रत्येक मुहल्ले में जाकर लोगों को इस बात के लिए जागरूक करेंगे कि सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी न फैलाएं और न दूसरों को ऐसा करने दें।
सुखवीर ¨सह भदौरिया, व्यवस्थापक, विकलांग पुनर्वास केंद्र
अगर सभी नागरिक इतने जागरूक हो जाएं कि सफाई के प्रति खुद की भी जिम्मेदारी समझें, तो शहर में गंदगी की समस्या खत्म हो जाएगी। नगर पालिका तो अपना काम करती ही है, हमें भी स्वच्छता के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। इसके लिए अन्य जागरूक लोगों को साथ लेकर जन सामान्य को उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराएंगे।
अनूप अग्रवाल, समाजसेवी।
अपने स्कूल के छात्र-छात्राओं के माध्यम से जन जागरूकता अभियान चलाएंगे। स्वच्छता के साथ ही ट्रैफिक नियमों का पालन करने, दुपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट अवश्य पहनने के लिए बच्चों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा। जन जागरूकता में बच्चे प्रभावी भूमिका निभाते हैं। केंद्र सरकार की मुहिम को किसी भी स्तर पर कमजोर नहीं पड़ने देंगे।
हरप्रीत ¨सह, प्रशासक, ईशर अकादमी।
स्वच्छता का सीधा संबंध स्वास्थ्य से होता है। यहां स्वच्छता रहेगी, वहां निवास करने वाले लोग बीमारियों से बचे रहते हैं, इसके उलट जहां गंदगी रहती है, वहां विभिन्न प्रकार की बीमारियां पैदा हो जाती हैं। प्रत्येक मरीज और उसके तीमारदार को इसके लिए लगातार जागरूक करने का प्रयास करते रहते हैं। जागरण के इस अभियान को और तेजी से साथ आगे बढ़ाएंगे।
डॉ. एनके वालियान, चिकित्सा अधीक्षक, सीतापुर आंख अस्पताल।
केंद्र सरकार की स्वच्छता मुहिम को जागरण ने पहले भी गति दी है और अब फिर से अभियान शुरू किया है। इस अभियान से लगातार जुड़कर स्वच्छता के संदेश के साथ ही गंदगी से होने वाली समस्याओं के प्रति आम लोगों को आगाह करेंगे। अपने साथ अन्य जागरूक लोगों को जोड़कर व्यापक रूप से अभियान चलाया जाएगा। युवाओं की टीम तैयार है।
-प्रशांत शर्मा, गंगा प्रहरी।