जंगल किनारे के ग्रामीणों को मिलेगी मदद
पीलीभीत : टाइगर रिजर्व के सीमावर्ती गांवों के ग्रामीणों की जंगल पर निर्भरता को समाप्त करने के लिए प्
पीलीभीत : टाइगर रिजर्व के सीमावर्ती गांवों के ग्रामीणों की जंगल पर निर्भरता को समाप्त करने के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं। जंगल किनारे के गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को भोजन बनाने वाले के लिए वैकल्पिक संसाधनों को प्रदान किया जाएगा। इस संबंध में एनटीसीए को जल्द ही प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा।
जंगल किनारे 275 गांव बसे हुए हैं, जिसमें मैनाकोट, डगा, मुस्तफाबाद, पिपरिया संतोष, बरी, परसादपुर, केसरपुर, खीरी नौबरामद, पताबोझी, टांडा छत्रपति, पुरैनी दीपनगर, जमुनिया खासपुर आदि गांव शामिल हैं। इन गांवों के लोग जान जोखिम में डालकर लकड़ी बीनने के लिए जंगल में प्रवेश कर जाते हैं। जंगल में लकड़ी बीनते समय जंगली वन्यजीव ग्रामीणों पर हमला बोलकर घायल कर देते हैं। गांवों के लोगों की लकड़ी पर निर्भरता को पूरी तरह समाप्त करने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। पूर्व में विश्व प्रकृति निधि ने जंगल किनारे गांवों के ग्रामीणों को एलपीजी गैस सिलिंडर वितरित किए थे मगर सारे गांवों के लोग लाभान्वित नहीं हो पाए हैं। नए नियम के मुताबिक पहले एक गांव को एलपीजी चूल्हे से संतृप्त किया जाएगा, उसके बाद दूसरे गांव का चयन किया जाएगा। इससे गांव में कोई भी लकड़ी पर निर्भर नहीं रहेगा। बरेली वृत्त के वन संरक्षक विनोद कृष्ण ¨सह ने बताया कि ईको डेवलपमेंट के तहत नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथारिटी नई दिल्ली को प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद जंगल किनारे गांवों के लोगों को एलपीजी चूल्हा देने की प्रक्रिया चालू की जाएगी। कुछ वक्त लग सकता है। जंगल जाने की आदत पर अंकुश लगाया जा सकेगा।