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खुद दरबदर हैं 'भगवान' को गढ़ने वाले

जागरण संवाददाता, पीलीभीत : शहर का मुहल्ला गंगापुरी। इस मुहल्ले में इन दिनों घर-घर में गणेश-लक्ष्मी स

By Edited By: Published: Thu, 27 Oct 2016 12:35 AM (IST)Updated: Thu, 27 Oct 2016 12:35 AM (IST)
खुद दरबदर हैं 'भगवान' को गढ़ने वाले

जागरण संवाददाता, पीलीभीत : शहर का मुहल्ला गंगापुरी। इस मुहल्ले में इन दिनों घर-घर में गणेश-लक्ष्मी समेत अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां गढ़ने, उन्हें सुखाने के बाद रंग-रोगन करने का काम पूरे-पूरे दिन चल रहा है। यहां पर प्रजापति (कुम्हार) बिरादरी के साठ परिवार रहते हैं। इन सभी परिवारों के लोग त्योहार पर खर्च जुटाने के लिए बच्चों से लेकर बड़े तक मेहनत करने में जुटे हुए हैं।

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बुधवार को विमलेश कुमारी मिट्टी की मूर्तियां बनाने में तल्लीन दिखीं। उनके साथ परिवार की अन्य महिलाएं और बच्चे भी भी सहयोग कर रही हैं। कोई मूर्तियों को रंगने में लगा है तो कोई उन्हें सुखाने के लिए धूप में पंक्ति्बद्ध ढंग से रखने की जिम्मेदारी निभा रहा है। इसी बस्ती के कालीचरन बताते हैं कि हम सबके परिवारों में इन दिनों सभी सदस्य मूर्तियां बनाने में ही जुटे हुए हैं। दिवाली के अलावा अन्य दिनों में क्या काम करते हैं? इस सवाल पर कालीचरन कुछ देर को चुप्पी साध लेते हैं फिर धीरे से कहते हैं कि मजदूरी के सिवा और कोई काम नहीं मिलता। किसी भी तरह की मजदूरी मिल जाए, यही बहुत है। मूर्तियां बनाकर बेचने में कितनी कमाई मिल जाती है, इस सवाल पर बोले: त्यौहार का खर्च निकल आता है। कोई बहुत फायदा नहीं है लेकिन पुश्तैनी काम है, इसलिए छोड़ना नहीं चाहते। यह कहानी सिर्फ कालीचन की ही नहीं है बल्कि बस्ती के लालाराम, दयाराम, राहुल, अनिकेत समेत अन्य लोगों की भी है।


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