सर्दी शुरू होते ही बढ़ जाते बाघ के हमले
जागरण संवाददाता, पीलीभीत : जंगल के किनारे के खेतों में अधिकांश किसान गन्ने की फसलें लेते हैं, जो नवं
जागरण संवाददाता, पीलीभीत : जंगल के किनारे के खेतों में अधिकांश किसान गन्ने की फसलें लेते हैं, जो नवंबर महीने में ही तैयार हो पाती है। जंगल से भालू गन्ने के खेत की ओर रुख करते हैं। उसके पीछे से बाघ भी गन्ने के खेत की ओर चल देता है, जो ग्रामीणों के लिए खतरे की घंटी होती है। गन्ना काटते समय किसान को बाघ का आभास नहीं होता है। अचानक बाघ गन्ना किसान पर हमला कर निवाला बना लेता है। अब सर्दी का सीजन शुरू हो गया है। ऐसे में टाइगर रिजर्व और गन्ना विभाग को बाघ हमले से बचाव की रणनीति बनाने की दिशा में कार्रवाई करनी होगी। ऐसा न करने पर गन्ना किसानों के ऊपर बाघ के हमले होना स्वाभाविक हैं। हर साल सर्दी शुरू होते ही गन्ने के खेत में बाघों की चहल-कदमी देखी जा सकती है। गन्ना किसानों पर बाघ हमलावर भी हो जाते हैं। नवंबर महीने में गन्ने की छिलाई शुरू हो जाएगी। ऐसा कोई उपाय अपनाया जाए, जिससे मानव की क्षति को रोका जा सकेगा। इस साल दो ग्रामीण बाघ हमले में घायल हो चुके हैं। टाइगर रिजर्व के उप प्रभागीय वनाधिकारी डीपी ¨सह का कहना है कि जंगल के वासस्थल में हस्तक्षेप किया जाता है, तो बाघ हमलावर हो जाएगा। उस समय बाघ कोई शिकार खा रहा हो अथवा बच्चे के साथ हो। अगर जंगल में कोई प्रवेश करता है, तो हमला बोल सकता है। अमूमन बाघ मनुष्य से दूर रहना चाहता है। अक्टूबर व नवंबर बाघ का मै¨टग सीजन होता है। सर्दियों में धूप सेंकने के लिए कभी-कभी जंगल से बाघ निकलकर बाहर आ जाता है, जो ग्रामीण के लिए परेशानी बनता है। जंगल के किनारे रहने वाले ग्रामीणों को बाघ से बचाव के बारे में जागरूक किया जाता है। बाघ स्वभाव से शांतिप्रिय जानवर है, जबकि भालू ज्यादा आक्रामक होता है।