यूपी : ग्रेटर नोएडा के कासना गांव में सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाया मुआवजा
अधिग्रहित जमीन का मुआवजा बढ़वाने के लिए 27 साल से संघर्ष कर रहे ग्रेटर नोएडा कासना गांव के किसानों के लिए राहत भरी खबर आई है।
नई दिल्ली (माला दीक्षित)। अधिग्रहित जमीन का मुआवजा बढ़वाने के लिए 27 साल से संघर्ष कर रहे ग्रेटर नोएडा कासना गांव के किसानों के लिए खुशखबरी है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उनकी मुआवजा बढ़ाने की याचिका स्वीकार कर ली। कोर्ट ने उनकी जमीनों का मुआवजा 7 रुपये प्रति वर्ग गज से बढ़ा कर 65 रुपये प्रति वर्ग गज कर दिया है। ये मामला 1989 के जमीन अधिग्रहिण का है।
ये जमीन इस समय ग्रेटर नोएडा में यूपीएसआइडीसी के औद्योगिक सेक्टर साइड 4 और साइड 5 में पड़ती है। न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ व न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ ने किसानों के वकील ऋषि मल्होत्र की दलीलें सुनने के बाद याचिकाकर्ता किसानों को भी अन्य किसानों की तरह 65 रुपये प्रति वर्गगज के हिसाब से मुआवजा दिये जाने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट में करीब 60 किसानों आये थे। उनके वकील ऋषि महल्होत्र की दलील थी कि हाईकोर्ट ने ये तो माना है कि जिन अन्य लोगों की जमीन इन याचिकाकर्ताओं के साथ अधिग्रहित हुई थी उन्हें जब 65 रुपये प्रति वर्ग गज के हिसाब से मुआवजा मिला है तो इन्हें भी मिलना चाहिए लेकिन हाईकोर्ट ने स्वयं आदेश करने के बजाए मामला वापस रिफरेंस कोर्ट को भेज दिया।
याचिकाकर्ता पिछले 27 सालों से मुआवजा बढ़वाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और अब फिर वे वापस रिफरेंस कोर्ट जाकर शुरू से मुकदमा लड़ें ये कहां तक ठीक है। 1इस मामले में यूपीएसआईडीसी ने 1989 में औद्योगिक विकास के लिए कासना गांव की 534 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी।
उस समय ये जमीन बुलंदशहर जिलें में आती थी। बाद में गौतमबुद्ध नगर जिला बन गया और जमीन ग्रेटर नोएडा गौतमबुद्ध जिले का हिस्सा हो गई। पेंच तब फंसा जब 7 रुपये प्रति वर्गगज के तय मुआवजे को किसानों ने अदालत में चुनौती दी।
एक मुकदमा बुलंदशहर रिफरेंस कोर्ट में चला जहां से मुआवजा बढ़ा कर 65 रुपये प्रति वर्गगज कर दिया गया बाद में सुप्रीम कोर्ट तक से 65 रुपये प्रति वर्गगज के मुआवजे पर मुहर लग गई, लेकिन दूसरा मुकदमा गौतमबुद्ध नगर की रिफरेंस कोर्ट में चला और यहां की रिफरेंस कोर्ट ने मुआवजा 65 रुपये प्रति वर्ग गज नहीं किया।
जब भूस्वामी किसानों को गौतमबुद्ध नगर रिफरेंस कोर्ट से राहत नहीं मिली, तो वे हाईकोर्ट गए, लेकिन हाई कोर्ट ने भी सीधे तौर पर उनका मुआवजा बढ़ाने का आदेश नहीं किया और मामला वापस रिफरेंस कोर्ट भेज दिया।
हालांकि, हाईकोर्ट ने ये जरूर कहा था कि इन याचिकाकर्ताओं को भी अन्य के समान ही 65 रुपये प्रति वर्गगज के हिसाब से मुआवजा मिलना चाहिये। हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ किसान सुप्रीम कोर्ट आए थे।