जेपी के खिलाफ चार माह में दो सौ शिकायत पत्र एफआइआर में तब्दील
फोटो - कोतवाली एक्सप्रेस वे में दर्ज केस को जांच के लिए क्राइम ब्रांच ट्रांसफर किया गया -
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- कोतवाली एक्सप्रेस वे में दर्ज केस को जांच के लिए क्राइम ब्रांच ट्रांसफर किया गया
- जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ चार माह में चार कदम भी नहीं बढ़ पाई पुलिस की जांच
ललित विजय, नोएडा : जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस का दरवाजा खटखटाने वाले निवेशक भी लगातार बढ़ रहे हैं। 15 अप्रैल को जेपी के खिलाफ एफआइआर दर्ज होने के बाद चार माह में पुलिस को सैकड़ों शिकायत पत्र मिल चुके हैं। जिसमें से दो सौ शिकायत पत्रों को पुलिस एफआइआर में शामिल कर चुकी है। एक शिकायत पत्र में कई-कई निवेशक शामिल हैं। जेपी के खिलाफ कोतवाली एक्सप्रेस वे में दर्ज एफआइआर जांच के लिए क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दिया गया है। जेपी को दिवालिया घोषित करने की तैयारी के बीच एफआइआर के लिए शिकायत करने वालों की संख्या बढ़ गई है।
जेपी के खिलाफ पुलिस की जांच रफ्तार मंद
जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दो सौ शिकायतें एफआइआर में तब्दील होने के बाद भी क्राइम ब्रांच की जांच बेहद मंद है। चार माह की जांच के बाद भी पुलिस अब तक यह बताने की स्थिति में नहीं है कि निवेशकों की शिकायत पर क्या साक्ष्य एकत्र किए गए? शिकायत सही है या गलत? अगर शिकायत सही है तो अब तक क्या कार्रवाई की गई? इस संबंध में क्राइम ब्रांच प्रभारी एसपी क्राइम प्रीतिबाला गुप्ता से जब बात की गई तो उन्होंने सिर्फ इतना ही जवाब दिया कि हमारी जांच जारी है। निवेशकों का कहना है कि पुलिस उन्हें न्याय दिला पाएगी, इसकी उम्मीद बेहद कम है।
जेपी के खिलाफ शिकायत पर थानों में केस दर्ज करने पर मनाही
एक्सप्रेस वे कोतवाली में जेपी के खिलाफ एफआइआर दर्ज होने के बाद अब जिले के सभी थाना प्रभारियों को निर्देश है कि वह जेपी के खिलाफ आने वाली शिकायतों पर एफआइआर दर्ज न किया जाए। अब सभी शिकायत पत्र को क्राइम ब्रांच भेजने का आदेश दिया गया है। जिससे जेपी के खिलाफ शिकायत लेकर थाने जाने वाले निवेशकों को निराशा हाथ लग रही है।
भारी मशक्कत के बाद दर्ज हुई थी एफआइआर
जेपी समूह के निवेशकों ने अप्रैल में भारी मशक्कत के बाद 15 अप्रैल 2017 को कोतवाली एक्सप्रेस वे में एफआइआर दर्ज कराई थी। उन्हें भूख हड़ताल तक करनी पड़ी थी। इसमें वर्ष 2013 में यमुना एक्सप्रेस-वे पर बन रहे जेपी के स्टूडियों अपार्टमेंट के लिए बुकिंग कराए वाले शामिल थे। जिन्हें दिसंबर 2016 में पजेशन का वादा किया गया था। इसके अलावा जेपी विश टाउन में वर्ष 2007 से 2013 तक निवेश करने वाले निवेशक भी इसमें शामिल थे। विश टाउन में 35 हजार फ्लैट का पजेशन देने का वादा किया गया था। अब तक सिर्फ 5 हजार फ्लैट का ही पजेशन हो पाया है। निवेशकों की शिकायत पर पुलिस ने जेपी इंफ्राटेक के एमडी और सीईओ मनोज गौड़, सनी गौड़, सचिन गौड़, पंकज गौड़, अजीत कुमार और आरके आनंद के खिलाफ धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया था।
'एफआइआर दर्ज कराए चार माह हो गए हैं। अब तक नोएडा पुलिस ने जांच के नाम पर केस को थाने से बस क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर किया है। किसी भी जेपी के अधिकारी को बुलाकर अब तक पूछताछ नहीं की गई। ऐसे में हमें पुलिस से न्याय की उम्मीद बेहद कम है। अब अगर जेपी दिवालिया घोषित होता है तो इसका सबसे बड़ा नुकसान निवेशकों को ही होगा।
- प्रमोद कुमार, निवेशक
'जेपी के खिलाफ एक्सप्रेस वे कोतवाली में दर्ज केस की जांच अब क्राइम ब्रांच के पास है। केस दर्ज करने के बाद करीब 200 सौ शिकायत पत्र जेपी के खिलाफ आए हैं। जिन्हें दर्ज केस में शामिल कर लिया गया है। हमारी जांच जारी है। गोपनीयता के कारण जांच में अब तक क्या निकला है, यह बताया नहीं जा सकता है। - प्रीतिबाला गुप्ता, एसपी क्राइम