जेपी पर महरबान रही सपा व बसपा सरकार
धर्मेंद्र चंदेल, ग्रेटर नोएडा : यमुना एक्सप्रेस वे बनाने की एवज में जेपी समूह को नोएडा में टाउनश
धर्मेंद्र चंदेल, ग्रेटर नोएडा :
यमुना एक्सप्रेस वे बनाने की एवज में जेपी समूह को नोएडा में टाउनशिप बसाने के लिए दी गई ढाई हजार एकड़ जमीन के आवंटन पर भी सवाल खड़ा हो गया है। 2011 में सीएजी ने इस पर आपत्ति जताई थी, लेकिन तत्कालीन प्रदेश सरकार ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया। बसपा और बाद में सपा सरकार पूरी तरह से जेपी पर मेहरबान रही। इतना ही नहीं, जिस नोएडा, ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे को जेपी समूह ने बनाया ही नहीं, उसे भी यमुना एक्सप्रेस वे का पार्ट दिखा दिया गया। यमुना एक्सप्रेस वे बनाने के लिए जेपी के साथ किए गए एग्रीमेंट की मूल कापी भी प्राधिकरण से गायब हो गई। प्राधिकरण ने एग्रीमेंट फाइल गायब होने की न तो जांच कराई और न ही थाने में मामला दर्ज कराया।
ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 160 किमी लंबे व 100 मीटर चौड़े एक्सप्रेस वे बनाने के लिए प्रदेश सरकार की इकाई के रूप में यमुना प्राधिकरण का जेपी समूह के साथ सात फरवरी 2003 में एग्रीमेंट हुआ था। एग्रीमेंट के तहत जेपी को नोएडा से आगरा तब एक्सप्रेस वे बनाने की बात कही गई, लेकिन हैरत की बात यह है कि उस समय नोएडा, ग्रेटर नोएडा के बीच 25 किमी लंबा एक्सप्रेस वे बना हुआ था। इसका निर्माण 1998 में शुरू हुआ था। पंद्रह अगस्त 2002 में इसे जनता के लिए खोल दिया गया था। इस पर 220 करोड़ रुपये की लागत आई थी। इसकी 80 फीसद धनराशि नोएडा प्राधिकरण व 20 फीसद धनराशि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने खर्च की थी।
यमुना एक्सप्रेस वे बनाने के लिए
जेपी के साथ 2003 में हुए एग्रीमेंट में जब नोएडा, ग्रेनो एक्सप्रेस वे को भी यमुना एक्सप्रेस वे का हिस्सा बनाने की बात हुई तो तत्कालीन अधिकारियों ने इसका कड़ा विरोध किया। इसके बाद मामला शासन पर डाल दिया गया। शासन ने निर्णय लिया कि नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेस वे को यमुना एक्सप्रेस वे बनने के बाद जेपी समूह को दे दिया जाएगा। इस पर खर्च हुए 220 करोड़ रुपये की राशि को जेपी दोनों प्राधिकरणों को देगा। हैरत की बात यह है कि इसी आधार पर जेपी को नोएडा में पांच सौ हैक्टेयर की एक टाउनशिप मिल गई। वहीं दूसरी तरफ जेपी ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस का लाभ तो ले लिया, लेकिन उस पर आई 220 करोड़ रुपये की लागत को अभी तक दोनों प्राधिकरणों में जमा नहीं किया।
जेपी द्वारा निर्माण खर्च न देने पर यमुना प्राधिकरण ने बाद में एग्रीमेंट से नोएडा शब्द हटाकर ग्रेटर नोएडा से आगरा तक यमुना एक्सप्रेस वे कर दिया। सीएजी ने इसकी रिपोर्ट मांगते हुए कहा कि यदि यमुना एक्सप्रेस वे नोएडा से आगरा तक नहीं है तो फिर नोएडा में टाउनशिप के लिए जमीन क्यों दी गई। इसके बाद यमुना प्राधिकरण ने बोर्ड से एक प्रस्ताव पास किया। इसमें यमुना एक्सप्रेस वे को ग्रेटर नोएडा से नहीं बल्कि नोएडा से आगरा तक लिखा गया। प्राधिकरण ने कहा कि नोएडा शब्द हटाया नहीं गया है, बल्कि उसे स्थगित किया गया है। नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ 45-45 मीटर के सर्विस रोड बनने के बाद इसे जेपी को हस्तानांतरित कर दिया जाएगा।
एक्सप्रेस वे बनाने की एवज में पांच जगह मिली जमीन
एग्रीमेंट के समय प्राधिकरण ने जेपी ग्रुप को जमीन की अधिग्रहण कीमत पर पांच जगह ढाई-ढाई हजार एकड़ भूमि टाउनशिप बसाने के लिए दी। इसके अलावा एक्सप्रेस वे पर 38 वर्ष तक टोल टैक्स वसूलने का अधिकार दिया। जेपी को एग्रीमेंट के समय एक टाउनशिप नोएडा, दूसरी ग्रेटर नोएडा से सटे यमुना प्राधिकरण के जगनपुर गांव, तीसरी टप्पल, चौथी मथुरा व पांचवी आगरा दी गई।
आरबीट्रेशन में प्राधिकरण ने नहीं किया जवाब दाखिल
जेपी समूह को टाउनशिप में निश्शुल्क फ्लोर एरिया रेसियो (एफएआर) देने की सुनवाई आरबीट्रेशन में 2015 में हुई थी। यह बात सामने आई है कि प्राधिकरण ने आरबीट्रेशन में अपना जवाब ही दाखिल नहीं किया। सुनवाई के दौरान भी प्राधिकरण वकील ज्यादातर समय गैर हाजिर रहे।
निश्शुल्क एफएआर के मामले में आरबीट्रेशन के फैसले को कोर्ट में चुनौती दे दी गई है। प्राधिकरण मजबूती से पैरवी कर आरबीट्रेशन के फैसले को निरस्त कराने की प्रयास करेगा। यदि कोई नई चीजे प्रकाश में आई हैं तो उसकी जांच कराई जाएगी।
डा. अरूणवीर ¨सह, सीईओ, यमुना प्राधिकरण