रेस्टोरेंट व होटल में सर्विस चार्ज ग्राहक के विवेक पर निर्भर
जागरण संवाददाता, नोएडा : होटल, रेस्टोरेंट में आने-जाने वाला ग्राहक यदि सर्विस से संतुष्ट है, तो वह
जागरण संवाददाता, नोएडा :
होटल, रेस्टोरेंट में आने-जाने वाला ग्राहक यदि सर्विस से संतुष्ट है, तो वह सर्विस चार्ज दे सकता है, लेकिन सर्विस चार्ज को बिल में शामिल करने से पहले ग्राहक की अनुमति अनिवार्य होगी। बिना ग्राहक की अनुमति के सर्विस चार्ज को बिल में शामिल नहीं होगा।
यह सख्त निर्देश डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स की ओर से होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एचएआई) के जवाब के बाद सभी होटल व रेस्टोरेंट संचालक दे दिया गया है। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि प्रत्येक होटल व रेस्टोरेंट संचालक को बिलिंग काउंटर के नोटिस बोर्ड पर यह चस्पा करना होगा कि 'सर्विस चार्ज ग्राहक के विवेक पर निर्भर' है।
बता दें कि मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के पास लगातार शिकायत पहुंच रही थी कि होटल व रेस्टोरेंट में आने-जाने वाले ग्राहकों से सर्विस टैक्स तो छह फीसद लिया जा रहा है, लेकिन सर्विस चार्ज 5 से 20 फीसद वसूला जा रहा है। इस चार्ज को न चाह कर भी ग्राहकों भुगतना पड़ रहा है। इससे निजात दिलाने की मांग की गई थी।
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शिकायत पर हरकत में आया विभाग
डिपोर्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स ने होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया से एक बिल का हवाला देते हुए जवाब तलब किया था। इसमें कहा गया था कि एक परिवार ने होटल में 7215 रुपये का खाना खाया। उस बिल में छह फीसद के हिसाब से सर्विस टैक्स 476 रुपये और 10 फीसद सर्विस चार्ज 721 रुपये लिया गया। इस प्रकार से ग्राहक से कुल 8413 रुपये भुगतान लिया गया।
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सर्विस चार्ज होटल व रेस्टोरेंट में अन-आर्गेनाइज टिप है। इसको बर्तन धोने वाला, सैफ, वेटर, सफाई वाला से लेकर मैनेजर तक के बीच बंटता है। चूंकि टेबल पर मिलने वाली टिप वेटर की जेब में चली जाती है। इसलिए यह चार्ज लेना पड़ता है। यदि कोई इसे नहीं देना चाहता है तो उससे काउंटर पर जबरदस्ती नहीं की जाती है। उससे इसका कारण अवश्य पूछ कर सर्विस में सुधार अवश्य किया जाता है।
-पीके अरोड़ा, संचालक, दूसरी महफिल।