उद्योग विभाग में अब सामने आया शिफ्टिंग घोटाला
धर्मेंद्र चंदेल, ग्रेटर नोएडा : ग्रेटर नोएडा के उद्योग विभाग में बिना भवन बनाए फैक्ट्री को क्रिया
धर्मेंद्र चंदेल, ग्रेटर नोएडा : ग्रेटर नोएडा के उद्योग विभाग में बिना भवन बनाए फैक्ट्री को क्रियाशील दिखाने के घोटाले के बाद अब भूखंड शिफ्ट घोटाला सामने आया है। इंडस्ट्री के इकोटेक 11 सेक्टर को अविकसित बताकर करीब 25 भूखंड अच्छे सेक्टर में स्थानांतरित कर दिए गए। सवाल उठता है कि इकोटेक 11 सेक्टर अविकसित है और वहां उद्योग लगाने के लिए प्राधिकरण आवंटियों को भूखंडों पर कब्जा नहीं दे पा रहा है, तो सभी भूखंड स्थानांतरित क्यों नहीं किए गए। 250 में से सिर्फ 25 भूखंड स्थानांतरित करना प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहा हैं। भूखंड भी ऐसे सेक्टर में स्थानांतरित किए गए, जिनमें जमीन की दरें तीन से चार गुणा अधिक है। स्थानांतरण का खेल शहर में उद्योग स्थापित करने के लिए नहीं बल्कि भूखंड को बेचकर मोटी कमाई करने के लिए किया जा रहा हैं। दरअसल, प्राधिकरण ने वर्ष-2007-08 में मायचा व घंघोला गांव की जमीन को अधिगृहीत कर वहां इकोटेक 11 के नाम से औद्योगिक सेक्टर निकाला था। कासना के पास इकोटेक छह सेक्टर बनाया गया। दोनों ही सेक्टर मुख्य शहर से काफी दूरी पर पड़ते हैं। आसपास का क्षेत्र भी अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुआ। इससे वहां जमीन की दरें कम हैं। प्राधिकरण की आवंटन दर से भी कम पर इन सेक्टरों में भूखंड उपलब्ध है। इन सेक्टरों में करीब 500 भूखंड उद्योग लगाने के लिए आवंटित किए गए। हैरत की बात यह है कि काफी समय बीतने के बाद भी सेक्टरों में उद्योग स्थापित नहीं हुए। जानकारों का कहना है कि भूखंड आवंटित कराने वाले अधिकांश लोग उद्योग से नहीं जुड़े थे। भूखंडों को बेचकर मुनाफा कमाने की नियत से आवंटन कराया गया। ऐसे आवंटियों ने मिलीभगत कर अपने भूखंडों को दूसरे ऐसे सेक्टरों में स्थानांतरण कराने की योजना बनाई, जहां जमीन की दरें अधिक हैं। इंडस्ट्री का सबसे महंगा सेक्टर इकोटेक 12 है। यह ग्रेटर नोएडा वेस्ट के पॉश इलाके में हैं। इस सेक्टर में औद्योगिक भूखंडों की दर 12 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर तक हैं। जबकि, इकोटेक 11 व छह में मात्र चार हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर है। करीब दो दर्जन आवंटियों ने सांठगांठ कर अपने भूखंड इकोटेक 11 व छह से इकोटेक 12 में स्थानांतरित करा लिए। ताकि तीन से चार गुणा अधिक दरों पर भूखंड बेच सकें। फाइलों में भूखंड स्थानांतरण का कारण सेक्टरों का विकसित न होना बताया गया। कहा गया कि उद्योग लगाने के लिए प्राधिकरण को जमीन नहीं मिल रही।
सीईओ ने क्रियाशील प्रमाण पत्र पर लगाई रोक
बिना भवन निर्माण के फैक्ट्रियों को क्रियाशील होने का प्रमाण पत्र देने का घोटाला सामने आने पर सीईओ दीपक अग्रवाल ने इसकी जांच बैठा दी है। एसीइओ शिशिर ¨सह को जांच सौंपी गई है। सीईओ ने उद्योग विभाग द्वारा जारी किए जाने वाले क्रियाशील प्रमाण पत्र को जारी करने पर रोक लगा दी हैं। फैक्ट्री को क्रियाशील प्रमाण पत्र अब सीईओ खुद अपने स्तर से जारी करेंगे। एसीईओ के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई है। निरीक्षण करने के बाद टीम अपनी जांच रिपोर्ट सीईओ को सौंपेगी। इसके बाद सीईओ फैक्ट्री चालू होने का प्रमाण पत्र जारी करेंगे।
मामले की जांच कराई जाएगी। यदि किसी आवंटी को लाभ पहुंचाने के लिए नियम विरूद्ध भूखंड स्थानांतरित किया गया, तो दोषी अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- दीपक अग्रवाल, सीईओ, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण।
इन कारणों से सवालों में शिफ्टिंग
- इंडस्ट्री के इकोटेक 11 सेक्टर को अविकसित बताकर 250 में से सिर्फ 25 भूखंड ही अच्छे सेक्टर में स्थानांतरित किए गए।
- भूखंड उन सेक्टर में स्थानांतरित किए गए, जहां जमीन की दरें तीन से चार गुणा अधिक है।
- स्थानांतरण का खेल भूखंड को बेचकर मोटी कमाई करने के लिए किए गए।