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भूखंड कब्जे पर आवंटियों का सांकेतिक प्रदर्शन

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा: यमुना प्राधिकरण के आवंटियों का सब्र जवाब देने लगा है। शुक्रवार को प्र

By Edited By: Published: Fri, 24 Jun 2016 08:08 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2016 08:08 PM (IST)
भूखंड कब्जे पर आवंटियों का सांकेतिक प्रदर्शन

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा: यमुना प्राधिकरण के आवंटियों का सब्र जवाब देने लगा है। शुक्रवार को प्राधिकरण कार्यालय पहुंचे आवंटियों ने अधिकारियों के साथ बातचीत में सवाल किया कि आखिर उन्हें भूखंड पर कब्जा कब मिलेगा। उन्होंने प्राधिकरण कार्यालय पर सांकेतिक प्रदर्शन कर विरोध भी जताया। आवंटियों ने ट्विटर पर यूपीसीएम गिव यमुना प्लॉट से कैंपेन भी शुरू किया है।

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आवंटियों ने कहा कि प्राधिकरण की वह सभी शर्त पूरी कर चुके हैं। जमीन पर कब्जे के लिए प्राधिकरण ने नोटिस जारी कर 1330 रुपये प्रतिवर्ग मीटर की दर से अतिरिक्त धनराशि जमा कराने के लिए कहा था। अधिकतर

आवंटी यह धनराशि जमा करा चुके हैं, लेकिन प्राधिकरण भूखंड कब्जा देने से जुड़ा उत्तर देने की हालत में नहीं है।

वर्ष 2009 में योजना निकालते वक्त प्राधिकरण ने आवंटियों को भरोसा दिया था कि 2013 तक उन्हें भूखंड पर कब्जा दे दिया जाएगा, लेकिन काफी वक्त बीतने व अतिरिक्त धनराशि जमा करने के बाद भी आवंटियों को निराशा मिली है। आवंटियों से कहा जा रहा है कि कुछ गांव की याचिकाएं अगले माह वापस होने को हैं, जिसके बाद मुआवजा बांटकर जमीन पर कब्जा लिया जाएगा व जल्द विकास कार्य शुरू कराएं जाएंगे। लेकिन ठोस आश्वासन देने पर अधिकारी अभी भी तैयार नहीं है।

अमित कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री को इसमें हस्तक्षेप करनी चाहिए। साथ ही आवंटियों को जल्द से जल्द भूखंड पर कब्जा दिलाना चाहिए। वहीं,

प्राधिकरण के एसीईओ आरके ¨सह

ने बताया किकिसानों को अतिरिक्त मुआवजा देकर जमीन पर कब्जा लिया जा रहा है। अगले माह कुछ याचिकाएं वापस होने की उम्मीद है। जमीन पर कब्जा लेकर सेक्टर का विकास कार्य शुरू कराया जाएगा। करीब साढ़े चार हजार भूखंड का रास्ता साफ हो जाएगा।

यमुना प्राधिकरण ने वर्ष 2009 में 21 हजार भूखंड की योजना निकाली थी, जिसमें विभिन्न श्रेणियों के भूखंड शामिल हैं। आवंटियों को वर्ष 2013 में भूखंड पर कब्जा मिलना था, लेकिन जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसानों के हाईकोर्ट में जाने की वजह से मामला अटक गया। 64.7 फीसद अतिरिक्त मुआवजा देने के बाद भी प्राधिकरण को किसानों से जमीन मिलने पर मुश्किल आ रही है।


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