जीबीयू :) अब मशीन खरीद में खेल उजागर
प्रवीण विक्रम ¨सह, ग्रेटर नोएडा : गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय (जीबीयू) में शिक्षक भर्ती में नियमों के उल
प्रवीण विक्रम ¨सह, ग्रेटर नोएडा : गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय (जीबीयू) में शिक्षक भर्ती में नियमों के उल्लंघन के बाद अब मशीन खरीद में भी गड़बड़ी करने का मामला सामने आया है। विवि ने पांच साल पहले तीन करोड़ रुपये की पॉवर सिस्टम सिमूलेटर मशीन खरीदी थी। मुंबई की एक फर्म के नाम पर टेंडर निकला, जबकि मशीन शारजहा की एक कंपनी से खरीदी गई। दोनों कंपनी के नाम मिलते जुलते हैं। विदेशी कंपनी से मशीन खरीदने पर 21 लाख की कस्टम ड्यूटी विवि प्रशासन को चुकानी पड़ी। मशीन खरीदने के दो साल बाद कस्टम ड्यूटी का भुगतान किया गया। आज भी यह मशीन धूल फांक रही है।
जीबीयू बचाओ मंच के संयोजक डा. विकास पंवार ने आरटीआइ से हासिल जानकारी में यह उजागर किया है। इन्होंने बताया कि फर्म के नाम पर इसमें खेल किया गया। वर्ष 2011 में खरीदी गई मशीन आज भी विवि के लैब में स्थापित नहीं हो पाई है। डा. विकास ने आरोप लगाया है कि टेंडर प्रक्रिया में जिस फर्म के नाम बिड निकली थी, उसके पक्ष में आर्डर विदेशी कंपनी को ट्रांसफर कर दिया गया, जो कि कानूनी रूप से गलत है। इसकी पुष्टि अधिवक्ता सुशील भाटी ने भी की है। डा. विकास पंवार ने बताया कि फर्म के नाम पर हुए खेल की वजह से ही विवि प्रशासन पर 21 लाख रुपये की कस्टम ड्यूटी का अतिरिक्त भार पड़ा। कस्टम ड्यूटी के भुगतान को लेकर दो साल तक मशीन विवि परिसर में डिलीवर नहीं हो सकी थी। मशीन की डिलीवरी 2013 में हुई, लेकिन उसको स्थापित अभी तक नहीं किया जा सका है। इंजीनिय¨रग के छात्रों के लिए मंगाई गई मशीन का लाभ अभी तक छात्रों को नहीं मिला है। जब मशीन खरीदने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, उसी दौरान स्कूल ऑफ इंजीनिय¨रग की डीन ने मशीन खरीदने से इंकार कर दिया था। डा. विकास ने बताया कि डीन ने लिखित में दिया था कि इस मशीन की आवश्यकता विवि लैब में नहीं है।
डा. विकास पंवार ने बताया कि विदेशी कंपनी के द्वारा डिलीवर की गई मशीन को स्थापित करने को लेकर विवि प्रशासन और कंपनी के बीच कस्टम ड्यूटी को लेकर विवाद चला। यदि यह मशीन स्थापित हो जाती तो बीटेक-एमटेक-एमबीए के ड्यूल डिग्री प्रोग्राम के छात्रों को इसका लाभ होता। जीबीयू के रजिस्ट्रार अमरनाथ उपाध्याय से टेलीफोन पर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
कानून के अनुसार यदि किसी फर्म के नाम पर टेंडर निकलता है तो उसी फर्म की जिम्मेदारी सामान को सप्लाई करने की होती है। टेंडर में निकले फर्म के पक्ष में कोई और फर्म सामान सप्लाई नहीं कर सकता और जब बात दोनों फर्म में देशी-विदेशी की हो तो यह पूरी तरह से कानून के खिलाफ है। यह पूरी तरह से फर्जीवाड़ा है।
सुशील भाटी, अधिवक्ता, जिला न्यायालय