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सामूहिक जिम्मेदारी से स्वच्छ होगी हवा

जागरण संवाददाता, नोएडा : नोएडा के वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए प्राधिकरण, वन विभाग के साथ आम जनता क

By Edited By: Published: Fri, 12 Feb 2016 06:36 PM (IST)Updated: Fri, 12 Feb 2016 06:36 PM (IST)
सामूहिक जिम्मेदारी से स्वच्छ होगी हवा

जागरण संवाददाता, नोएडा : नोएडा के वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए प्राधिकरण, वन विभाग के साथ आम जनता को आगे आना पड़ेगा। लोगों को निजी वाहन की बजाए सार्वजनिक वाहन के इस्तेमाल पर जोर देना होगा। इसके लिए सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को भी दुरुस्त करना होगा। प्राधिकरण और वन विभाग को हरित क्षेत्र का दायरा बढ़ाना होगा। साथ ही प्राधिकरण को मेट्रो के जाल को और फैलाना होगा। हालांकि मेट्रो के निर्माणाधीन रूट का काम पूरा होने के बाद हालात बदलने की उम्मीद है।

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हरियाली का दायरा बढ़ाने की योजना :

आगामी वित्तीय वर्ष के दौरान जिले में हरियाली बढ़ाने के लिए तीनों प्राधिकरण के साथ वन विभाग ने भी कमर कस ली है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण मिलकर अपने-अपने क्षेत्र में दस लाख पौधे लगाएंगे। वहीं वन विभाग ने भी पौधे लगाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। वन विभाग इस वित्तीय वर्ष में 90 हजार पौधे लगाएगा।

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'प्रदूषण को कम करने के लिए वन विभाग की तरफ से लगातार हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए काम हो रहा है। वन विभाग को 90 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य मिला है, जबकि बाकी विभागों में आठ लाख 48 हजार हजार पौधे लगाने हैं। वन विभाग का लक्ष्य पूरा करने के लिए जिलाधिकारी द्वारा बैठक की जा चुकी है। उन्होंने सभी एडीएम, एसडीएम, लेखपाल व पटवारियों को निर्देश दिए हैं कि वे ग्राम समाज की भूमि को चिन्हित कर वन विभाग को पौधे लगाने के लिए सौंप दें।

- केके सिंह, जिला वन अधिकारी, गौतमबुद्ध नगर

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वायु प्रदूषण घटाने में कारगर है कनेर

शहर में बढ़ते प्रदूषण के असर को कनेर व गुड़हल जैसे पौधे कम कर सकते हैं। शुरुआती प्रयोग में नोएडा के फिल्मसिटी नाले से निकलने वाले प्रदूषण को कम करने में ये पौधे काफी कारगर साबित हुए हैं। ये पौधे न सिर्फ वायु प्रदूषण के असर को कम करते हैं बल्कि कैडमियम, लेड जैसी भारी धातुओं के कणों को भी अवशोषित कर स्वास्थ्य पर असर डालने से बचा देते हैं।

विपरीत परिस्थिति में भी जीवित रहता है कनेर :

कनेर (नीरीयम) प्रजाति के पौधे प्रदूषण कम करने में सबसे ज्यादा कारगर साबित हुए हैं। दरअसल, ये पौधे कम पानी व विपरीत परिस्थिति में भी आसानी से जीवित रहते हैं और कार्बन डाई आक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रोजन डाई आक्साइड जैसी हानिकारक गैसों का अवशोषण करते हैं। वाहनों व औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले भारी तत्वों कैडमियम, लेड, पारा, क्रोमियम समेत अन्य को अवशोषित कर बायो-मैग्नीफिकेशन के जरिये इस्तेमाल कर लेते हैं।

कार्बन मोनो आक्साइट को भी अवशोषित करता है

वाहनों से निकलने वाले कार्बन मोनो आक्साइड को भी कनेर द्वारा अवशोषित किए जाने के बारे में पता चला है। यह गैस मानव शरीर में प्रवेश कर खून में मिल जाती है। इसके बाद यह विभिन्न कोशिकाओं को रक्त के जरिये भेजी जाने वाली ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देती है। ऐसे में सड़क किनारे जिन लोगों के घर हैं अगर वह कनेर व इस प्रजाति के पौधों को लगाते हैं तो उन्हें प्रदूषण से काफी हद तक राहत मिल सकती है।

जापान में परमाणु बम हमले के बाद कनेर को मिली थी पहचान

1945 में जापान के नागाशाकी व हिरोशिमा में परमाणु हमले के बाद कनेर के खास गुण की पहचान सामने आई थी। बम हमले में जापान में पौधे नष्ट हो चुके थे, लेकिन कनेर प्रजाति के पौधे न सिर्फ बचे रहे बल्कि प्रदूषण कम करने में भी धीरे-धीरे कामयाब रहे। इसके बाद ही कनेर को विश्व स्तर पर पहचान मिली थी।

लोगों की राय -

शहरीकरण के साथ प्रदूषण बड़ी समस्या बनकर उभरा है। यह हमारी आने वाली पीढि़यों के लिए खतरनाक है। अपनी आगे की पीढि़यों को बचाने के लिए जरूरी है कि हम आज ही सचेत हो जाएं। एक घर में पांच-पांच कारों की परंपरा को तोड़ना होगा।

- डॉ. केसी नेथानी

सार्वजनिक परिवहन को सुविधाजनक बनाने की जरूरत है। जिससे लोग निजी वाहनों की बजाए सार्वजनिक वाहन का इस्तेमाल कर सकें, तभी वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

- कैप्टन विकास गुप्ता

घर के बाहर भी हरित क्षेत्र को अनिवार्य करना होगा। जितने ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे होंगे, उनका प्रदूषण कम होगा। इसमें प्राधिकरण के साथ हम सबको जिम्मेदारी निभानी होगी।

- शंभु प्रकाश पोखरियाल

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