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मांग को लेकर धरना जारी

ग्रेटर नोएडा : जिला न्यायालय परिसर में चैंबर के लिए जमीन की मांग को लेकर विद आउट चैंबर अधिवक्ता संघर

By Edited By: Published: Tue, 02 Jun 2015 08:39 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2015 08:39 PM (IST)
मांग को लेकर धरना जारी

ग्रेटर नोएडा : जिला न्यायालय परिसर में चैंबर के लिए जमीन की मांग को लेकर विद आउट चैंबर अधिवक्ता संघर्ष समिति का धरना दूसरे दिन भी जारी रहा। परिसर में आयोजित धरने में समिति के अध्यक्ष जितेंद्र भाटी ने कहा कि चैंबर के लिए जमीन आवंटित न होने से नए अधिवक्ताओं को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। बार एसोसिएशन को इस बारे में जल्द कदम उठाना चाहिए। उपाध्यक्ष देवराज बैसोया ने कहा कि चार वर्षों से नए अधिवक्ताओं को चैंबर के लिए जमीन आवंटित नहीं की गई है। अधिवक्ता अपनी मांग लगातार उठाते रहे हैं। चैंबर न होने से अधिवक्ताओं का विधि व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। समिति ने दावा किया कि वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीचंद छावड़ी ने भी उनकी मांग को जायज ठहराते हुए भविष्य की जरूरत के हिसाब से बहुमंजिला चैंबर बनाने की मांग की है। धरने में शामिल होने वालों में सचिव राजकुमार नागर, कोषाध्यक्ष अंजना शुक्ला, सुशील भाटी, प्रवेंद्र भाटी, अनिल भाटी, श्रीचंद नागर, अमित भाटी आदि मौजूद थे।

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भवन किराए की अतिरिक्त धनराशि मिलेगी वापस

ग्रेटर नोएडा : प्राधिकरण चेयरमैन रमा रमण ने बीटा एक सेक्टर में बने प्राधिकरण के कर्मचारी आवास को टाइप तीन घोषित किया है। उन्होंने कर्मचारियों से भवन किराए के रूप में वसूली गई अतिरिक्त धनराशि को भी वापस करने के आदेश दिए हैं। चेयरमैन की इस घोषणा पर कर्मचारियों ने खुशी जताई है। प्राधिकरण ने वर्ष 2007 में बीटा एक सेक्टर में तीन आवास का निर्माण किया था। इन्हें टाइप चार की श्रेणी में रखा गया था। इसके हिसाब से ही कर्मचारियों से आवास का किराया वसूला गया, लेकिन ग्रेटर नोएडा एंप्लाइज एसोसिएशन ने आवास की श्रेणी टाइप चार न होने की शिकायत करते हुए जांच कराने की मांग की थी। एसोसिएशन के अध्यक्ष गजेंद्र चौधरी ने बताया कि चेयरमैन ने परियोजना व नियोजन विभाग को जांच के आदेश दिए थे। जांच में सामने आया कि कर्मचारी आवास पीडब्ल्यूडी के टाइप तीन के अनुरूप हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर चेयरमैन ने आवास को टाइप तीन श्रेणी का घोषित करते हुए कर्मचारियों से वसूली गई धनराशि वापस करने के आदेश दिए हैं। आवास में रहने वाले कर्मचारियों को करीब साठ-साठ हजार रुपये वापस मिलेंगे।


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