सब्जी मंडी की दुकानों का आवंटन रद
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : नोएडा की फेस दो स्थित सब्जी मंडी में दुकानों के आवंटन को इलाहाबाद हा
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : नोएडा की फेस दो स्थित सब्जी मंडी में दुकानों के आवंटन को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद कर दिया है। जिलाधिकारी को नए सिरे से आवंटन कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके लिए कोर्ट ने तीन माह की समय सीमा निर्धारित की है। कोर्ट के इस निर्णय से दुकान आवंटित कराने वालों को तगड़ा झटका लगा है।
फेस दो स्थित सब्जी मंडी में 19 जनवरी 2013 को 140 दुकानों के आवंटन के लिए नीलामी हुई थी। नियमानुसार इसमें वे सब्जी विक्रेता ही भाग ले सकते थे, जिनके जनपद में पहले से लाइसेंस बने हुए थे। साथ ही जनपद निवासियों को ही नीलामी में हिस्सा लेने की छूट थी। आरोप लगे थे कि नीलामी से पूर्व ही सब्जी मंडी समिति के निदेशक ने फर्जी तरीके से अनेक लाइसेंस बना दिए। कुल 1057 सब्जी विक्रेताओं के लाइसेंस बनाए गए। इनमें उनके भी लाइसेंस बना दिए गए, जो जनपद से बाहर के रहने वाले थे। नीलामी के दिन उन्होंने ऊंची बोली लगाकर 133 दुकानों का आंवटन अपने नाम करा लिया। इससे जनपद के रहने वाले सब्जी विक्रेता दुकानों से वंचित रह गए। मामले की शिकायत जिला प्रशासन से की गई। प्रशासन ने चार सदस्यीय कमेटी बनाकर मामले की जांच कराई। कमेटी में शामिल तत्कालीन एडीएम वित्त एवं राजस्व भगवान ¨सह व सिटी मजिस्ट्रेट पुष्पराज ¨सह, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर अंजू लता एवं एसडीएम दादरी राजेश यादव ने छह मार्च 2013 को डीएम को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी थी। जांच रिपोर्ट में फर्जीवाड़े की बात को सही ठहराया गया, लेकिन डीएम ने आवंटन रद नहीं किया। इसके बाद मैसर्स रणजीत फ्रूट ने जून 2013 में आवंटन को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व सुनीता अग्रवाल की पीठ ने 19 नवंबर 2013 को अपने फैसले में एसआइटी को मामला सौंपते हुए मुख्य सचिव को व्यक्तिगत हलनामा के साथ स्थिति से अवगत कराने के निर्देश दिए थे। मुख्य सचिव ने कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए दुकानों के आवंटन को निरस्त करने की बात कही थी। शुक्रवार को न्यायमूर्ति अरूण टंडन व एसपी केसरवानी की अदालत में मामले की सुनवाई हुई। मैसर्स रणजीत फ्रूट की तरफ से अधिवक्ता अजय ¨सह ने दुकान आवंटन को गलत बताते हुए समूची प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग की। अधिवक्ता अजय ¨सह ने बताया कि कोर्ट ने आवंटन प्रक्रिया को गलत मानते हुए सभी दुकानों का आवंटन रद कर दिया। जिलाधिकारी को तीन माह के अंदर नए सिरे से दुकानों का आवंटन कराने के निर्देश दिए गए हैं। अधिवक्ता के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि इस बार नीलामी में सही लाइसेंस धारक ही हिस्सा लें। जांच के बाद ही अंतिम सूची कार्यालय पर चस्पा की जाए। आपत्ति आने पर उसका निराकरण कराने के बाद ही नीलामी प्रक्रिया को संपन्न कराया जाए।
दुकान न खरीद पाने वालों को मिलेगा ओपन स्पेश
रणजीत फ्रूट के अधिवक्ता ने बताया कि नीलामी के दौरान छोटे सब्जी विक्रेता धन के अभाव में बोली लगाकर दुकान नहीं खरीद सकते, उनके लिए कोर्ट ने दुकानों के बाहर ओपन स्पेश देने के निर्देश जिला प्रशासन को दिए हैं।
फर्जी लाइसेंस की रिपोर्ट को कर दिया गया था नजरअंदाज
दुकानों की नीलामी में वे सब्जी विक्रेता ही बोली लगा सकते थे, जिनके सब्जी मंडी समीति से लाइसेंस बने हुए थे। नीलामी से पहले फर्जी लाइसेंस बनाने का खेल हुआ था। इसकी शिकायत सब्जी विक्रेताओं ने जिला प्रशासन से की थी। तत्कालीन डीएम ने जांच कमेटी बनाई। कमेटी ने नीलामी से एक दिन पहले 18 जनवरी 2013 को अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए 28 लोगों के फर्जी लाइसेंस बताए थे। जांच रिपोर्ट को नजरअंदाज कर नीलामी कर दी गई।
हाईकोर्ट के फैसले से जनपद के सब्जी विक्रेताओं में खुशी है। इसके लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। कोर्ट को सच्चाई से अवगत कराया गया। इससे सब्जी विक्रेताओं को न्याय मिला। इस फैसले से न्यायपालिका के प्रति लोगों में विश्वास बढ़ा है।
बिकल भाटी, अध्यक्ष, नोएडा मंडी एसोसिएशन।