आइटी यूनिट के लिए खोला खजाना
जागरण संवाददाता, नोएडा : शहर में आइटी की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए प्राधिकरण ने सोमवार को उद्यम
जागरण संवाददाता, नोएडा :
शहर में आइटी की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए प्राधिकरण ने सोमवार को उद्यमियों के लिए राहत भरा फैसला लिया है। 20 एकड़ से बड़े आइटी के भूखंडों पर 25 प्रतिशत एफएआर में शामिल आवासीय, वाणिज्यक और संस्थागत स्पेस को बेच सकेंगे। इस पैसे का किसी अन्य जगह उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाते हुए इस धनराशि को बाकी बचे 75 प्रतिशत एफएआर पर आइटी भवन बनाने में प्रयोग किया जा सकेगा। प्राधिकरण के इस निर्णय से उन आवंटियों के लिए पैसे के इंतजाम का रास्ता साफ हो गया है जो आर्थिक अभाव में आइटी भवन का निर्माण नहीं कर पा रहे थे।
सोमवार को हुई बोर्ड बैठक के बाद प्राधिकरण चेयरमैन रमा रमण ने बताया कि नोएडा में वर्ष 2006 में आइटी और आइटीईएस के करीब तीन सौ भूखंडों का आवंटन किया गया था। इन भूखंडों पर आइटी की गतिविधियां संचालित कराने के लिए प्राधिकरण ने कई प्रयास किए। आवंटियों को कई प्रकार की छूट दी गई, लेकिन दो सौ से अधिक भूखंडों पर आइटी का संचालन नहीं हो सका। वैश्रि्वक मंदी के कारण जिन भूखंडों पर यूनिट नहीं लगी, अब वहां यूनिट लगाने के लिए प्राधिकरण ने आवंटियों को पैसे की उपलब्धता का रास्ता साफ कर दिया है। आवंटी को मिले एफएआर में से 25 प्रतिशत में आवासीय, वाणिज्यक और संस्थागत गतिविधि के संचालन को मंजूरी दी गई थी। अब आवंटी इस स्पेस को बेच सकेगा। इससे मिलने वाले पैसे को आवंटी और प्राधिकरण के एस्को अकाउंट में जमा किया जाएगा। इस पैसे का प्रयोग बाकी बचे 75 प्रतिशत एफएआर पर आइटी भवन के निर्माण में किया जा सकेगा। जो स्पेस बेचा जाएगा, वहां निर्माण करने के बाद कंप्लीशन सर्टिफिकेट तब तक जारी नहीं किया जाएगा, जब तक बाकी बचे 75 प्रतिशत एफएआर के हिसाब से आइटी भवन का निर्माण पूरा कर उसका कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं ले लिया जाता है।
प्राधिकरण चेयरमैन ने बताया कि आइटी के भूखंड पर 25 प्रतिशत अन्य उपयोग को को बढ़ाए जाने को लेकर कई शिकायत व सुझाव प्राधिकरण को मिले थे। इस पर निर्णय लिया गया है कि प्राधिकरण की तरफ से एक कंसलटेंट की नियुक्ति की जाएगी, जो पूरे देश में संचालित आइटी और आइटीईएस में दी जाने वाली सुविधाओं का ब्यौरा एकत्र करने के बाद अपनी रिपोर्ट प्राधिकरण को देगा। इस रिपोर्ट के आधार पर तय किया जाएगा कि क्या और सुविधाएं दी जा सकती है। इस प्रस्ताव को तैयार कर पहले प्राधिकरण बोर्ड में रखा जाएगा, इसके बाद इसे शासन को भेजा जाएगा।