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वेश बदलने में माहिर होने के कारण आठ साल तक एसटीएफ को छकया

फोटो - दो लाख के इनामी बदमाश सुकरम पाल को एसटीएफ ने पंजाब से किया था गिरफ्तार - साधु से लेकर भी

By Edited By: Published: Wed, 29 Apr 2015 12:59 AM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2015 12:59 AM (IST)
वेश बदलने में माहिर होने के कारण आठ साल तक एसटीएफ को छकया

फोटो

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- दो लाख के इनामी बदमाश सुकरम पाल को एसटीएफ ने पंजाब से किया था गिरफ्तार

- साधु से लेकर भीखारी का रूप घारण कर लेता था सुशील मूंछ का दाहिना हाथ

ललित विजय, नोएडा : वेश बदलने में माहिर होने के कारण एसटीएफ को सुकरमपाल को गिरफ्तार करने में आठ साल लग गए। वह साधु से लेकर भीखारी तक का वेश धारण कर इन आठ सालों के दौरान एसटीएफ को छकाता रहा। उसने काफी समय तक सड़क किनारे ठेली लगाकर खाने-पीने के सामान भी बेचा है। वर्तमान में वह साधु का वेश धारण कर एक मंदिर का पुजारी बन गया था। मुखबिर से सूचना मिलने पर पहचान करने में एसटीएफ को कई दिन लग गए। एसटीएफ के दो सदस्यों को उसके पीछे साधु बनाकर लगाया गया। उन्होंने लगातार सुकरमपाल की गतिविधियों देखा। कई दिन तक तो एसटीएफ को मुखबिर की तरफ से गलत सूचना दिए जाने का शक हुआ। सुशील मूंछ गैंग के सदस्य से सुकरमपाल की मुलाकात के बाद एसटीएफ को साफ हुआ कि साधु के वेश में पुजारी नहीं बल्कि दो लाख का इनामी बदमाश है। फिर उसे मोहाली पंजाब से स्वर्ण मंदिर जाते समय गिरफ्तार किया गया।

आठ साल में विभिन्न मंदिरों का पुजारी बना

सुकरमपाल उर्फ भगत आठ साल के दौरान हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब व उत्तराखण्ड के विभिन्न धार्मिक स्थलों में पुजारी बनकर रहा। वह लोगों को धर्म का पाठ भी पढ़ाता था।

2000 में जेल में सुशील मूंछ के संपर्क में आया

सुकरमपाल उर्फ भगत वर्ष 2000 में मुजफ्फरनगर जेल में सुशील मूंछ के सम्पर्क में आया था। उसके बाद से लगातार सुशील मूंछ के गैंग में शामिल रहा है एवं सुशील मूंछ के इशारे पर ही विभिन्न अपराधिक घटनाओं को अंजाम देता रहा है।

मोबाइल का नहीं करता था इस्तेमाल

सुकरमपाल उर्फ भगत कभी भी मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता था। इसी कारण वह एसटीएफ से आठ साल तक बचा भी रहा। सुशील मूंछ से सम्पर्क बनाये रखने के लिए वह अपना संदेश गैंग से जुडे़ विश्वासपात्र व्यक्तियों के माध्यम से भेजता था। सुशील मूंछ और सुकरमपाल की मुलाकात भी संदेश वाहक के जरिए तय होती थी। मीटिंग के लिए 4 स्थान, दिनाक व समय निश्चित किया जाता था। निश्चित स्थान पर यदि दोनो में से कोई भी समय से न पहुंच पाए तो अगले निर्धारित स्थान व समय पर मुलाकात होती थी।

'मोबाइल का इस्तेमाल न करने और लगातार वेश बदलने के कारण सुकरमपाल को गिरफ्तार करना एसटीएफ के लिए बेहद मुश्किल हो गया था। दो साल पहले वह एसटीएफ के हाथ से फिसल गया था। करीब दो माह पहले उसके बारे में जानकारी मिली। साधु बनकर रहने के कारण उसकी पहचान में दो माह लग गए। - बब्लू कुमार, एसएसपी एसटीएफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश

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ललित


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