श्रीमद्भागवत कथा कल्प वृक्ष के समान है
जागरण संवाददाता, नोएडा : कभी-कभी इंसान के मन में भक्ति जागृत होती है, लेकिन वह जागृति स्थाई नहीं ह
जागरण संवाददाता, नोएडा :
कभी-कभी इंसान के मन में भक्ति जागृत होती है, लेकिन वह जागृति स्थाई नहीं होती। इसका कारण यह है कि हम ईश्वर की भक्ति तो करते हैं लेकिन हमारे अंदर वैराग्य व ज्ञान का अभाव होता है। यह प्रवचन शैलेंद्रानंद द्विवेदी महाराज ने दी।
सेक्टर 52 के तिकोना पार्क स्थित डी ब्लाक के गेट नंबर सात पर श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन शाम को छह बजे से नौ बजे तक किया जा रहा है। कार्यक्रम का आयोजन श्रीश्री शिव शक्ति भागवत सेवा समिति गिझौड़ द्वारा आयोजित किया जा रहा है। कथा के दौरान व्यास शैलेंद्रानंद महाराज ने कहा कि संत हमेशा ईश्वर से मिलने का मार्ग बताते हैं। जिस सनातन पुरातन मार्ग पर चलकर हम उस ईश्वर को देख और जान पाते हैं। उन्होंने भागवत कथा को एक कल्पवृक्ष की भांति बताया। जो जिस भाव से कथा को सुनता है उसे मनोवांछित फल मिलता है। उन्होंने श्रीमद्भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत ऐसी अमृत कथा है, जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। उन्होंने बताया कि वेद-ग्रंथ युगों से मानव जाति का कल्याण करते रहे हैं। इसीलिए भागवत महापुराण को वेदों का सार भी कहा गया है। व्यास ने श्रीमद्भागवत महापुराण की व्याख्या करते हुए बताया कि श्रीमद्भागवत अर्थात जो श्री से युक्त है। श्री का अर्थ है चैतन्य, सौंदर्य, ऐश्वर्य। कथा के दौरान उन्होंने वृन्दावन का अर्थ बताते हुए कहा कि वृन्दावन इंसान का मन है। कार्यक्रम का आयोजन कराने में अध्यक्ष मंगलानंद त्रिपाठी बब्लू तिवारी, कोषाध्यक्ष अखिलेश मिश्रा, महासचिव राकेश सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष दशरथ प्रसाद, बासुदेव त्रिपाठी एवं रजत त्रिपाठी, अनमोल सिंह का विशेष सहयोग है।