होली- सचेत रहे तो बुझ सकती है 1.70 लाख की प्यास
ललित विजय, नोएडा : होली पर हम और आप रंगों में सराबोर होने को उत्साहित होते हैं, लेकिन आप जानकर हैरान
ललित विजय, नोएडा : होली पर हम और आप रंगों में सराबोर होने को उत्साहित होते हैं, लेकिन आप जानकर हैरान होंगे कि हमारा यह उत्साह पर्यावरण के प्रति सकारात्मक हो जाए तो करीब 1 लाख 70 हजार लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है। प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार होली के दिन सामान्य तौर पर 25 एमएलडी अतिरिक्त पानी खर्च होता है। जिसे हम और आप रंग डालने और फिर उसे छुड़ाने में खर्च करते हैं। प्राधिकरण प्रति व्यक्ति प्रति दिन 150 लीटर पानी उपलब्ध कराता है।
जरूरी है जल का संरक्षण
होली में पहले रंग खेलने के लिए पानी का इस्तेमाल करते हैं और फिर रंग को छुड़ाने पर 25 लाख लीटर पानी बर्बादी कर दी जाती है। लिहाजा, होली खेलने के दौरान पानी का संरक्षण भी बेहद जरूरी है। ऐसा इसलिए भी जरूरी है कि ¨हडन जहां सूख चुकी है वहीं जिले में 17 वेटलैंड में से अब मात्र तीन ही बचे हैं।
चंदन का करें इस्तेमाल
होली की खुशियों को बांटने के लिए हो सके तो पानी के साथ रंग खेलने के बजाय चंदन का प्रयोग करें। फूल की होली खेलकर भी एक दूसरे से खुशियां बांट सकते हैं। अगर पानी की जरूरत भी पड़े तब गहरे रंग का प्रयोग नहीं करें। ऐसा करने से रंग को हटाने के लिए भी ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है।
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इसलिए जरूरी है जल संरक्षण
भूजल में घुल रहे विषैले तत्व
औद्योगिक क्षेत्रों से रासायनिक अपशिष्ट पदार्थो का रिसाव होकर भूजल तक पहुंच जाता है। चूंकि भूजल कम होता है ऐसे में इनकी मात्रा ज्यादा घुल जाती है। नोएडा में भी काफी हद तक यही स्थिति है। ऐसे में भूजल में फ्लूरोसिस, आर्सेनिक, क्रोमियम, नाइट्रेट जैसे तत्व घुल रंहे हैं। इनके अलावा, सीसा व कैडमियम की मात्रा भी बढ़ रही है।
एक नजर में आंकड़े
पानी की जरूरत - 215 एमएलडी
नोएडा में उपलब्धता - 368 एमएलडी
होली पर जरूरत - 240एमएलडी(अनुमानित)
प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पानी की जरूरत - 150 लीटर
एक एमएलडी - 10 लाख लीटर
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'नोएडा प्राधिकरण की कोशिश होती है कि होली पर पानी की समस्या न हो। इसके लिए इस बार भी हमारी तैयारी है। होली पर भारी मात्रा में पानी की बर्बादी हो जाती है। इससे बेहतर है कि कम से कम पानी का इस्तेमाल करें। जिससे 25एमएलडी तक पानी को बचाया जा सकता है। फूलों की होली सबसे बेहतर विकल्प है।
- होम सिंह यादव, सीएमई (जल), नोएडा प्राधिकरण
बीमारियां बढ़ने की आशंका
फ्लूरोसिस- इससे दांत व हड्डियों में कमजोरी की बीमारी होती है।
आर्सेनिक- इससे नर्वस सिस्टम और बच्चों के बौद्धिक क्षमता पर विपरीत प्रभाव
क्रोमियम- यह कैंसर का बड़ा कारण बनता है।
नाइट्रेट - इसकी मात्रा बढ़ने पर ब्लू बेबी बीमारी हो सकती है। इसमें सांस व पाचन संबंधी बीमारी का खतरा।
सीसा इसकी मात्रा बढ़ने पर शारीरिक और मानसिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
लोगों की राय
'होली में लोगों को रंगों में सराबोर करने में पानी की खूब बर्बादी होती है। रंग लगाने और फिर उसे छुड़ाने में काफी पानी बर्बाद हो जाता है। लगातार गिरते भूजल स्तर को देखते हुए होली पर पानी को बर्बाद करने के बजाय उसे बचाने की जरूरत है। शहर में जल दोहन से प्राकृतिक संसाधन में लगातार कमी आ रही है। ¨हडन और यमुना सूख चुकी है। हरियाली गायब हो रही है। ऐसे में जल संरक्षण की दिशा में आम लोगों और प्रशासन दोनों को ठोस कदम उठाने की जरूरत है'।
अलेक्शेंद्रा वीनस बक्शी, लेखिका
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'शहरी क्षेत्र में लगातार भूजल दोहन हो रहा है। भूजल में फ्लूरोसिस, आर्सेनिक, क्रोमियम, नाइट्रेट जैसे तत्व घुल रंहे हैं। इनके अलावा, शीशा व कैडमियम की मात्रा भी बढ़ रही है। फ्लूरोसिस से दांत व हड्डियों में कमजोरी की बीमारी होती है। आर्सेनिक से नर्वस सिस्टम और बच्चों के बौद्धिक क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। क्रोमियम से कैंसर का खतरा होता है। नाइट्रेट की मात्रा बढ़ने पर ब्लू बेबी बीमारी हो सकती है। इसमें सांस व पाचन संबंधी बीमारी का खतरा बन सकता है। ऐसे में भूजल के महत्व को समझा जा सकता है। इस कारण यह हमारी जिम्मेदारी है कि इसे बचाएं और बनाए रखें। होली फूल से खेलें पानी से नहीं।
- डॉ. सोनिया खोराना, वरिष्ठ दंत रोग विशेषज्ञ मेट्रो अस्पताल