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स्वाइन फ्लू के बाद अब कांगो बुखार का खौफ

जागरण संवाददाता, नोएडा स्वाइन फ्लू और इबोला के बाद अब जिले में कांगो बुखार ने दस्तक दे दी है। इस ब

By Edited By: Published: Sat, 31 Jan 2015 08:38 PM (IST)Updated: Sun, 01 Feb 2015 04:17 AM (IST)
स्वाइन फ्लू के बाद अब कांगो बुखार का खौफ

जागरण संवाददाता, नोएडा

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स्वाइन फ्लू और इबोला के बाद अब जिले में कांगो बुखार ने दस्तक दे दी है। इस बुखार की चपेट में आने से निजी अस्पताल में भर्ती एक महिला की मौत हो गई। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस खतरनाक बुखार की चपेट में आने पर तुरंत इलाज शुरू न हो तो तीसरे सप्ताह रोगी की मौत हो जाती है। इसका वायरस पालतू पशुओं से मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है।

क्या है कागो बुखार

कागो बुखार की पहचान सबसे पहले 1944 में इस्ट यूरोप के एक देश क्रीमिया में हुई थी। इसलिए इसका नाम सीसीएचएफ (क्रीमियन कांगो हेमेरोजिक फीवर) पड़ा। 1969 में पता चला कि इस तरह की बीमारी 1956 में कागो में भी सामने आयी थी। दो जगहों से इसके संबंध को देखते हुए इसका नाम कागो फीवर रखा गया। वर्ष 2001 के दौरान कोसोवो, अल्बानिया, इरान, पाकिस्तान और दक्षिणी अफ्रीका में इसके काफी मामले पाए गए थे। इस बुखार की चपेट में गुजरात व राजस्थान में भी कई मरीज मिल चुके हैं। एक बार व्यक्ति के संक्रमित होने पर कांगो का वायरस पूरे शरीर में फैलने में तीन से नौ दिन लग सकते हैं।

किस तरह से फैलता है कागो बुखार?

जानवरों में ये बीमारी टिक्स या पिस्सू से फैलती है। इसी टिक्स (मवेशियों के शरीर पर चिपके रहने वाले छोटे कीड़े, चीचड़) के काटने की वजह से इंसान भी बीमार पड़ जाते हैं। जिन लोगों को पशुओं के साथ अधिक देर तक रहना पड़ता है, उन्हें इस बीमारी से संक्रमित होने का खतरा अधिक रहता है। ये बीमारी बहुत ही खतरनाक हैं, क्योंकि इसकी चपेट में आने वाले मरीज के संक्रमित होने पर 80 फीसदी मामलों में मौत हो जाती है। शरीर के विभिन्न अंगों के फेल होने व रक्तस्राव होने और तेज बुखार के कारण रोगी की मौत हो जाती है।

कागो बुखार के लक्षण और इलाज

इसके लक्षणों में सामान्य फ्लू की तरह बुखार, पेट में दर्द, सर्दी-जुकाम आदि शामिल हैं। इसलिए कई बार सामान्य बुखार का ही भ्रम हो जाता है। बुखार होने पर शरीर की माशपेशियों में दर्द, चक्कर आना और सर में दर्द, आखों में जलन और रोशनी से डर जैसे लक्षण पाए जाते हैं। कुछ लोगों को पीठ में दर्द और मितली (जी मचलाना) होती है और गला बैठ जाता है। इसका इलाज भी सामान्य फ्लू की तरह किया जाता है, लेकिन ठीक होने में थोड़ा वक्त लगता है।

कैसे करें बचाव

घायल, बीमार या कमजोर पशु के पास बहुत देर तक न रहें।

.यदि पशुओं की साफ-सफाई करते हैं तो हाथ अच्छी तरह से धोएं।

. किसी घायल या बीमार पशु का उपचार करना हो तो मुंह पर मास्क लगाएं। क्योंकि कांगो का वायरस हवा में उड़कर व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है।

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कांगो का उपलब्ध है उपचार

कांगो बुखार से गुजरात के बाद उप्र में पहली मौत नोएडा में हुई है। इसकी चपेट में आने का सबसे अधिक आशंका पशुपालकों और किसानों में होती है, क्योंकि सीसीएचएफ वायरस पालतु पशुओं से फैलता है। इस बीमारी के इलाज के लिए इंजेक्शन और गोली दोनों उपलब्ध है, लेकिन अभी इसकी कोई वैक्सीन नहीं आई है।

डॉ सुभाष चंद्र गुप्ता, नोडल अधिकारी, संक्रामक रोग, नोएडा।


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