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सीयूजी नंबर बांटने में फेल हुई पुलिस की प्लानिंग

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : प्रदेश के मुख्यमंत्री आम लोगों के साथ पुलिस का मैत्रीपूर्ण संबंध स्थ

By Edited By: Published: Sat, 31 Jan 2015 06:29 PM (IST)Updated: Sun, 01 Feb 2015 04:19 AM (IST)
सीयूजी नंबर बांटने में फेल हुई पुलिस की प्लानिंग

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : प्रदेश के मुख्यमंत्री आम लोगों के साथ पुलिस का मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करना चाहते हैं। इसके लिए तमाम तरह के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन जनपद के पुलिस अधिकारी इन योजना को नजर अंदाज करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

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करीब एक वर्ष पूर्व फरवरी 2014 में रेंज के डीआइजी ने पुलिस लाइन में जनपद के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सीयूजी नंबर के उपयोग को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिए थे। उन्होंने जनपद के सभी थानों सहित अधिक से अधिक पुलिस कर्मियों को सीयूजी नंबर मुहैया कराने व सीयूजी नंबर के उपयोग करने के निर्देश दिए थे। इस मसले को करीब एक वर्ष बीत जाने के बाद भी पुलिस विभाग के कर्मचारी व अधिकारी सीयूजी नंबर के उपयोग को आज तक शुरू नहीं कर पाए हैं। शहर में चौबीस घंटे लोगों की सेवा के लिए तत्पर रहने का दावा करने वाली पुलिस के अधिकांश पीसीआर के नंबर बंद पड़े हैं। थानों में लगे पुराने भारत संचार निगम के लैंड लाइन टेलीफोन के कनेक्शन काट दिए गए हैं। किसी दुर्घटना या आपराधिक घटनाओं के समय लोगों को पुलिस सहायता के लिए घंटों इधर उधर भटकना पड़ता है। पुलिस सहायता नंबर (100 डायल) भी यहां कारगर नहीं हैं। इस नंबर को डायल करने पर कॉल हरियाणा, गाजियाबाद व दिल्ली के पुलिस कंट्रोल रूम पहुंचती है। इससे लोगों की परेशानी हो रही है।

ढाई वर्ष पूर्व शुरू हुई योजना भी तोड़ गई दम

ग्रेटर नोएडा के पूर्व एसपी देहात अशोक कुमार ने काफी प्रयास करने के बाद ग्रेटर नोएडा में संचालित होने वाले सभी 20 पीसीआर व थानों को वोडाफोन का सीयूजी नंबर मुहैया कराया था। सीयूजी नंबर के बिल लगातार जमा न होने से वोडाफोन ने कुछ नंबरों की सेवा समाप्त कर दी है।

पीसीआर व थानों के नंबर खराब होने से ये होती है परेशानी

पीसीआर व थानों के नंबर बंद होने से किसी आपराधिक घटना के बाद पीड़ित घंटों पीसीआर व थाने का नंबर डायल करते रहते हैं, लेकिन फोन नहीं मिलता है। इसका फायदा उठा कर बदमाश पीसीआर के प्वाइंट से चंद कदम की दूरी पर भी आपराधिक वारदात को अंजाम देकर आसानी से फरार हो जाते हैं। पुलिस को चंद कदम की दूरी पर घटित घटना के बारे में काफी देर से सूचनाएं प्राप्त होती है। ऐसी स्थिति में पुलिस चाह कर भी पीड़ित की मदद नहीं कर पाती है।

पुराने सीयूजी नंबरों के उपयोग में काफी समस्याएं आ रही थीं। कुछ पीसीआर व थानों के सीयूजी नंबर बंद हैं। विभाग नए सिरे से सीयूजी नंबर प्राप्त करने के लिए बातचीत कर रही है। जल्द ही सभी थानों व पीसीआर को सीयूजी नंबर मुहैया करा दिया जाएगा।

डा. ब्रजेश सिंह, एसपी देहात।


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