बढ़ रहे कुष्ठ के रोगी, सिमट रहे संसाधन
आशुतोष यादव, नोएडा एक तरफ केंद्र व प्रदेश सरकार संक्रामक एवं गंभीर रोगों के उन्मूलन के नाम पर करोड़
आशुतोष यादव, नोएडा
एक तरफ केंद्र व प्रदेश सरकार संक्रामक एवं गंभीर रोगों के उन्मूलन के नाम पर करोड़ों रुपये का बजट खर्च कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कुष्ठ रोग की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं है, जबकि कुष्ठ के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यदि मरीज स्वयं से जांच कराने के लिए अस्पताल पहुंच गया तो उसका इलाज शुरू कर दिया जाता है, लेकिन कुष्ठ उन्मूलन के लिए कोई भी जागरूकता कार्यक्रम नहीं चलाया जाता है। इस समय जिले में कुष्ठ के 155 मरीजों का उपचार चल रहा है, जिसमें 93 गंभीर कुष्ठ मरीज हैं। इसके अलावा बीच में उपचार छोड़कर दोबारा शुरू करने वाले 185 मरीज हैं। प्रति वर्ष 30 जनवरी को कुष्ठ निरोधक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
तीन वर्ष से बंद हुआ जागरूकता कार्यक्रम
कुष्ठ रोग से बचाव और इलाज के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाता था। जिसमें स्कूली बच्चों द्वारा रैली निकालना, कुष्ठ निवारण के लिए कार्यक्रम आयोजित करना और कुष्ठ रोगियों को समाज से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था, लेकिन पिछले तीन वर्ष से बजट का अभाव होने से कार्यक्रम बंद कर दिए गए।
जिले में कुष्ठ रोगियों की संख्या बढ़ रही है। जनवरी 2013 से जनवरी 2014 तक 86 मरीज थे, जबकि फरवरी 2014 से जनवरी 2015 तक 15मरीज हो गए हैं। इसमें 93 अति जीवाणु गंभीर मरीज (एमबी यानी मल्टी बेसलरी) हैं। इन्हें कुष्ठ मुक्त होने के लिए 12 महीने तक लगातार दवाई खानी पड़ती है। 62 मरीज अल्प जीवाणु जनित सामान्य कुष्ठ (पीबी यानी पोशी बेसिलरी) हैं। इनका इलाज छह महीने तक चलता है। इसके अलावा 185 अतिरिक्त मरीज हैं, जो बीच में दवा छोड़कर चले गए थे। इसके बाद से दोबारा इलाज शुरू किया है, जबकि जनवरी 14 तक सिर्फ 43 अतिरिक्त मरीज थे।
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जागरूकता कार्यक्रम शासन के दिशा निर्देश के बाद चलाया जाता है। कार्यक्रम बंद होने पर स्थानीय स्तर पर कुछ नहीं किया जा सकता है। 30 जनवरी से 13 फरवरी तक कुष्ठ निवारण पक्ष चलाया जा रहा है। इसमें जिले के चारों ब्लाकों पर रोगियों की जांच की जाएगी।
डॉ राजीव प्रसाद, जिला कुष्ठ अधिकारी
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अभिशाप नहीं, जीवाणु होता है रोग का कारण
कुष्ठ रोग पूर्व जन्म का अभिशाप नहीं बल्कि माइक्रो बैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु द्वारा फैलता है। कुष्ठ रोग किसी भी अवस्था में पूरी तरह ठीक हो जाता है। आरंभिक अवस्था में इसका उपचार आसानी से हो जाता है। इस रोग के कारण शरीर में कई प्रकार की विकृतिया उत्पन्न हो जाती हैं। यह जीवाणु जनित रोग है। यह रोग वंशानुगत नहीं होता है। कुष्ठ रोग अति संक्रामक स्थिति में होने पर भी दवाओं का सेवन करके रोग मुक्त रह सकता है। वयस्कों की अपेक्षा बच्चों में इस रोग के होने का खतरा अधिक होता है।