आस्था की आड़ में कानून का विर्सजन
जागरण संवाददाता, नोएडा आस्था के नाम पर कानून को ठेंगा दिखाने का सिलसिला बंद नहीं हो रहा है। सुप्री
जागरण संवाददाता, नोएडा
आस्था के नाम पर कानून को ठेंगा दिखाने का सिलसिला बंद नहीं हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बावजूद यमुना नदी में फूल, पूजन सामग्री और देवी देवताओं की प्रतिमा का विसर्जन जारी है। जिससे लगातार नदी का प्रदूषण बढ़ रहा है, जबकि दिल्ली से लेकर नोएडा तक की कई फैक्टरियों का दूषित पानी और कचरा नदी में पहले से ही गिराया जा रहा है। ऐसे में यमुना नदी को स्वच्छ बनाने की परिकल्पना करना भी बेमानी लगती है। बसंत पंचमी के बाद यमुना में मां सरस्वती की प्रतिमा का विसर्जन किया गया। जिससे नदी का पानी और भी प्रदूषित हो गया।
वसंत पंचमी के अवसर पर श्रद्धालुओं ने मां सरस्वती की प्रतिमा की स्थापना कर पूजन किया। दो दिन के बाद प्रतिमा का विसर्जन यमुना नदी में किया। सोमवार को नदी में करीब पांच सौ मूर्तियों का विसर्जन किया गया। लेकिन इस दौरान कानून का एक भी रहनुमा मौके पर मौजूद नहीं था और न ही नदी के किनारे सुरक्षा के कोई इंतजामात थे। जिससे कि किसी हादसे के दौरान निपटा जा सके।
सुप्रीम कोट ने लगाया है प्रतिबंध
नदियों को स्वच्छ किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए किसी भी तरह का माला-फूल, प्रतिमा का विसर्जन प्रतिबंधित किया है। इसके बावजूद न तो कानून के रखवालों को इसका कोई खयाल है और न ही श्रद्धालुओं को।