अतरकली के पास 87 फूलों का गुलदस्ता
घनश्याम पाल, बिलासपुर (गौतमबुद्ध नगर) यह खबर नहीं, आईना है। विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो सिर्फ
घनश्याम पाल, बिलासपुर (गौतमबुद्ध नगर)
यह खबर नहीं, आईना है। विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो सिर्फ पत्नी और बच्चों के साथ ही जीवन में खुशिया ढूंढ़ते हैं। या यूं कहें कि जिनका संयुक्त परिवार से कोई वास्ता नहीं रह गया है। उन्हें यह खबर बताएगी कि परिवार और परिवार का मुखिया होने का मतलब क्या होता है। हम जिस परिवार की बात कर रहे हैं, उसकी मुखिया 102 वर्ष की वृद्धा हैं अतरकली। वह न सिर्फ आत्मनिर्भर हैं, बल्कि अपने अनुभवों से परिवार को संस्कारित, सेहतमंद और समृद्ध भी बना रही हैं। अतरकली ने परिवार के 87 सदस्यों को कुछ इस तरह गुलदस्ते में संजोया है कि एक भी फूल दूसरे से जुदा होने की सोचता भी नहीं। मुखिया की अनुमति से ही परिवार के सब कार्य पूरे होते हैं। उनकी स्मृति, दृष्टि व दंत श्रृंखला समस्त स्वस्थ हैं। उन्हें इस उम्र में भी लिखने-पढ़ने का विशेष शौक है। वह भजन गीत गायन व अध्यात्म प्रेमी हैं।
अतरकली जैन का जन्म अक्टूबर 1912 में जिला गौतमबुद्ध नगर के जेवर निवासी दयाराम जैन के घर हुआ। इनके पिता छोटे व्यापारी थे, लेकिन वैचारिक तौर पर क्रातिकारी भी थे। 1934 में अतरकली की शादी बिलासपुर निवासी रतनलाल जैन से हुई। इसके साथ अच्छे-बुरे दिन भी आए, लेकिन बच्चों के बीच बीतते चले गए। अप्रैल 1986 में पति की मौत के बाद अतरकली काफी आहत हुई। 52 वर्ष साथ निभाने के बाद जीवन साथी अलग हुआ, तो उन्हें भी जीने की इच्छा नहीं रह गई। उन्हें लगा कि अगर वह बिखर जाएंगी, तो उनके परिवार को कौन संभालेगा? अतरकली स्वयं को मजबूत करते हुए फिर से अपनी दिनचर्या में लौट आई। अपने बेटे को संस्कारो से भर दिया है। उनके परिवार का पास के कस्बे में व्यवसाय है, जो आय का मुख्य स्त्रोत है। कुछ सदस्य व्यवसाय में, तो कुछ नौकरी करते हैं। अतरकली का एक बेटा राजेंद्र प्रसाद जैन व बेटी देवी जैन हैं। सभी पाचवीं पीढ़ी के साथ पत्नियों और बच्चों के साथ एक ही छत के नीचे रहते हैं। वर्तमान में पहली पीढ़ी दो, दूसरी चार, तीसरी 24, चौथी 44 व पाचवीं पीढ़ी 13 सदस्यों वाली है। परिवार में कुल 87 सदस्य हैं। आज भी यह परिवार क्षेत्र में एकता की मिसाल बना हुआ है। परिवार के 87 लोग अतरकली रूपी धागे में इस प्रकार गुथे हुए हैं कि जमाने की बुरी नजरें उनका बाल भी बाका नहीं कर पाती। अनिल, प्रवीन, संजय व पौत्रवधू कमलेश, सुमन व ग्रीष्मा ने बताया कि दादी के निर्देशों पर घर के सभी कार्य किए जाते हैं।
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सात्विक भोजन है सेहत का राज अतरकली के अनुसार उनके परिवार की महिलाओं व बच्चों की सेहत का राज शुद्ध और सात्विक शाकाहारी भोजन ही है। उनका कहना है कि जैसा खाओ अन्न, वैसा रहे मन, जैसा पीओ पानी तैसा बोले वाणी। प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठना, सूर्यास्त से पूर्व भोजन करने का निर्देश ही नहीं है, बल्कि इन चीजों का अनुसरण भी कराया है। भजन संध्या उनकी दिनचर्या का अभिन्न अंग है। उन्हें अनेक भजन, श्लोक, मंत्र व पूजा कंठस्थ हैं।