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प्राधिकरण की नजर में बिल्डर भूजल दोहन नहीं करता

जागरण संवाददाता, नोएडा : भूजल दोहन के मामले में बिल्डर के समर्थन में नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकर

By Edited By: Published: Wed, 01 Oct 2014 03:16 PM (IST)Updated: Wed, 01 Oct 2014 03:16 PM (IST)
प्राधिकरण की नजर में बिल्डर भूजल दोहन नहीं करता

जागरण संवाददाता, नोएडा :

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भूजल दोहन के मामले में बिल्डर के समर्थन में नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण उतर आया है। सोमवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सौंपे गए जवाब में दोनों प्राधिकरण ने बिल्डर का बचाव करते हुए कहा है कि निर्माण के लिए बिल्डर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से पानी ले रहा है। इसके बाद निर्माणाधीन साइट पर चुनाई का काम कर रहा है।

बिल्डर की ओर से जो पानी नीचे से निकाला जा रहा है। वह निर्माणाधीन साइट के ग्राउंड फ्लोर पर बारिश और सीपेज का पानी है, जो मानसून बारिश और चुनाई के समय भर गया है।

प्राधिकरण के इस जवाब के बाद शिकायतकर्ताओं ने एनजीटी को बताया कि उनकी ओर से जो भी साक्ष्य बिल्डर के खिलाफ सौंपे गए हैं। वह सही हैं क्योंकि जिस समय यह फोटोग्राफ लिए गए हैं उस समय मानसून ही नहीं था। इस बार वैसे ही बारिश कम हुई है। ऐसे में इस कदर जल भराव कैसे हो सकता है। सीपेज के दौरान कहीं भी इतना पानी नहीं भरता, जिसको निकालने की जरूरत पड़े।

अगर सीपेज या बारिश का पानी बिल्डर की ओर से निकाला जा रहा है तो भी बिल्डर सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का उल्लघंन कर रहा है, जिसमें कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बिल्डर कोई भी पानी निकाल कर ड्रेन में नहीं डालेगा। उसको हार्वेस्ट किया जाएगा। निकाला गया पानी साइट की दूसरी तरफ से जमीन के नीचे पहुंचाने का काम होगा, लेकिन सौंपे गए साक्ष्य में बिल्डर पानी को ड्रेन में डाल रहा है। दोनो का पक्ष सुनने के बाद एनजीटी ने बिल्डरों से इस मामले पर तीन सप्ताह के अंदर जवाब सौंपने को कहा है।

आखिर क्यों हो रहा भूजल दोहन

एक बिल्डर को अपनी साइट पर निर्माण और वर्कर्स के लिए करीब प्रतिदिन 4 लाख लीटर पानी की आवश्यकता है। ऐसे में इतना अधिक पानी कहीं से भी प्रतिदिन साइट पर लाया नहीं जा सकता है। वहीं निर्माणाधीन साइट पर अगर तीन-चार मंजिल अंडर ग्राउंड निर्माण करना है तो उसके लिए जमीन के नीचे से पानी निकालना होगा। उसके बाद ही फाउंडेशन को आसानी से डाला जा सकता है। इसके लिए बिल्डर भू-जल दोहन कर पानी को ड्रेन में डालने क प्रक्रिया अपनाते है।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद एनजीटी बिल्डरों पर नकेल कसते हुए तीन सप्ताह में जवाब मांगा है क्योंकि अभी तक किसी भी बिल्डर की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया गया है। जबकि नोएडा व ग्रेटर नोएडा में मौजूदा समय में 330 निर्माण साइट पर काम चल रहा है।

-विक्रांत टोंगर, याचिकाकर्ता।

किसी भी बिल्डर को भू-जल दोहन की इजाजत नहीं दी गई है, बल्कि 240 बिल्डरों को कम से कम 200 नोटिस इस मामले में जारी कर दिए गए हैं। इसके लिए नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने संयुक्त रूप से एक टास्क फोर्स का गठन किया है, जिससे भू-जल दोहन पर नजर रखी जा रही है। अगर बिल्डरों पर एनजीटी ने सीधी कार्रवाई की है तो उसका जवाब बिल्डरों को देना होगा। हम तो अपनी जांच के हिसाब से ही रिपोर्ट एनजीटी को देंगे।

-मनोज राय, ओएसडी, नोएडा प्राधिकरण।ारी


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