नोएडा में फिर खिला कमल
रमेश मिश्र, नोएडा
सूरज निकलने के पहले ही फूल मंडी के अंदर का पूरा वातावरण काफी गरम हो चुका था। यहां की सियासी चहलकदमी से उसे भरपूर ऊष्मा मिल रही थी। पूरी तरह से पुलिस छावनी में तब्दील हो चुकी फूल मंडी में सुबह से ही अफसरों और नेताओं का जमावड़ा लगना शुरू हो गया। सपा प्रत्याशी काजल शर्मा को छोड़कर भाजपा प्रत्याशी विमला बाथम और कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र अवाना समेत तमाम निर्दलीय प्रत्याशी अपने कार्यकर्ताओं के साथ यहां डेरा डाल चुके थे। सभी को घड़ी के सात बजने का इंतजार था। उधर, जिले के आला अफसरों ने भी कमर कस ली थी। सुरक्षा ऐसी चौकस कि क्या मजाल जो परिंदा पर मार जाए। फूल मंडी की पूरी व्यवस्था की बागडोर खुद जिलाधिकारी एवी राजामौली और एसएसपी डा. प्रीतिंदर सिंह ने संभाल रखी थी।
फूलमंडी में रखी मतपेटियों के अब खुलने की बारी थी। लोग शिद्दत से मंगलवार की सुबह का इंतजार कर रहे थे। प्रतीक्षा की घड़ी खत्म हुई। घड़ी ने जैसे ही आठ बजे मतगणना का काम शुरू हो गया। प्रत्याशियों समेत तमाम कार्यकर्ता अपना दिल थाम कर बैठे थे। फूलमंडी के अंदर इस हाल में एक अजीब सन्नाटा पसरा था। प्रत्याशियों के चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई थीं। जनता ने अपना फैसला सुना दिया था, अब भगवान को याद करने की बारी थी। पहले चरण के परिणाम के साथ कमल के चेहरे पर एक मुस्कान की लहर दौड़ गई। यहां बैठी भाजपा उम्मीदवार विमला बाथम ने थोड़ी राहत की सांस जरूर ली, लेकिन अभी लड़ाई 33 चरणों की थी। हर चरण की मतगणना में यही सिलसिला चलता रहा। सपा को हर चरण एक उम्मीद के साथ शुरू होती थी, लेकिन उसका अंत एक गहरे निराशा के साथ खत्म होता था। उसके कार्यकर्ता इस उम्मीद में थे कि सेक्टरों में साइकिल भले ही पिछड़ रही हो, लेकिन गांवों की बारी आते ही वह बढ़त जरूर ले लेगी, लेकिन 15 चरण के बाद सपा के खेमे में मायूसी छा गई। लंबी बढ़त ने स्पष्ट कर दिया था कि अंकों की इतनी लंबी खाई को पाटना एकदम असंभव है। इसके बाद के चरणों में सपा का उत्साह ठंडा होता चला गया। हालांकि, भाजपा खेमे को भी एक चिंता सताए जा रही थी कि कहीं सेक्टरों में खिला कमल गांव में मुरझा न जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हर चरण में कमल खिलने का सिलसिला जारी रहा। 23 चरणों तक आते-आते हार-जीत तय हो चुकी थी। अब हार की घोषणा की औपचारिक खानापूर्ति रह गई थी। अब तो लोगों में इस बात की उत्सुकता होने लगी थी कि दोनों प्रत्याशियों के बीच हार-जीत का अंतर क्या होगा। आखिरकार 33 चरणों तक अनवरत फूलमंडी में कमल का दबदबा बरकरार रहा।
अंतिम चरण के बाद सियासत के इतिहास में एक नया अध्याय लिखा गया। जनता जनार्दन का फैसला पढ़ा जा चुका था। भाजपा की विमला बाथम के हाथ में फैसले की कापी सुरक्षित थी। इसके साथ फूलमंडी में चल रहा यह कार्यक्रम अपने समापन की ओर बढ़ रहा था। जीत का ऐलान होते ही यहां धीरे-धीरे गाड़ियों का काफिला अपने-अपने गंतव्य की ओर रवाना होने लगे।
सपा का सट्टा बाजार रहा गरम
सपा का सट्टा बाजार अंत तक गरम रहा। लोग अंत तक सपा की जीत पर ही दांव लगाते रहे। किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि यहां कमल खिलेगा। जिस प्रकार का होमवर्क सपा ने किया था और समीकरण इस तरह के थे कि लोगों को उम्मीद जग गई थी कि इस बार नोएडा में साइकिल ही दौड़ेगी, लेकिन जनता ने अपना फैसला सट्टा बाजार के खिलाफ सुनाया।