अम्मी तू मूझे किसी तरह से बुला ले
कुंदन तिवारी, नोएडा :
देखा गया है कि कोई बच्चा दिक्कत में हो, तो उसकी मां ही सबसे पहले कष्ट निवारण के लिए पहुंचती है और जब तक बच्चा पूरी तरह से सुरक्षित न महसूस करे, मां लगातार प्रयास करती रहती है। मगर किसी मां को यह पता लग जाए कि उसके बच्चे की जान आफत में है, पर वह कुछ कर तक नहीं सकती। ऐसे में उसकी छटपटाहट का अंदाजा कोई भी नहीं लगा सकता।
कुछ इसी प्रकार से नोएडा के गांव सलारपुर निवासी खातून के साथ घटित हो रहा है। जिसके जिगर के टुकड़े रोजी-रोटी की तलाश में एक वर्ष पहले श्रीनगर गए थे। लेकिन जम्मू-कश्मीर की बाढ़ में फंस गए हैं और अब उनमें से एक की सूचना तक नहीं मिल रही है।
खातून ने बताया कि वह मूल रूप से बिजनौर के राजा का ताजपुर निवासी हैं। रोजी-रोटी के लिए अपने परिवार के साथ नोएडा में कई वर्षों से रह रही हैं।
पिछले वर्ष अगस्त माह में गांव के कुछ लोगों के साथ उनका बेटा दानिश रोजी-रोटी की तलाश में श्रीनगर के चिकारा मोहल्ला गया था। जब जनवरी में वह वापस आया तो अपने छोटे भाई अरमान को भी साथ ले गया। बीस दिन पहले छोटे बेटे अरमान का फोन आया था कि मां छह माह का वेतन बीस हजार रुपये भेज दिया है। लेकिन अम्मी तू मुझे किसी तरह से अपने पास बुला ले। क्योंकि यहां पर तेरे बगैर मन ही नहीं लगता है। उन्होंने यह भी बताया कि तीन दिन पहले बड़े बेटे दानिश का फोन आया था। जिसने बताया कि पूरा श्रीनगर बाढ़ की चपेट में है। मकान की चौथी मंजिल पर किसी तरह से सुरक्षित बैठा हूं।
लेकिन जब अरमान के बारे में पूछा तो उसने यह कह कर बात को टाल दिया कि वह सुरक्षित है और उसके पास है। लेकिन बात कराने को तैयार नहीं हुआ। ऐसे में अब उसे अपने दोनो बेटों की चिंता हो रही है। जिसमें छोटे बेटे की किसी भी प्रकार की सूचना तक नहीं मिल पा रही है।
यह बताते-बताते खातून कई बार फफक पड़ी और बार-बार यह कहने लगी कि अब मेरे बेटों का क्या होगा। उन्हें कौन सुरक्षित उनके पास तक लेकर आएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि रमजान के महीने में उनके दामाद नौशाद बेटों के पास गए थे और उनके वहां पर सुरक्षित होने की जानकारी लेकर ईद के मौके पर आए थे। पूरा परिवार बच्चों की फोटो देखकर खुश था। लेकिन अब उनकी दशा जानकर रात की नींद तक उड़ गई है। पूरा परिवार इस बात को लेकर चिंतित है कि कहीं बेटों के साथ कोई अनहोनी न हो गई हो। जिसके लिए बिजनौर से पिता शमशाद लगातार गांव के उन लोगों से संपर्क का प्रयास कर रहे हैं, जिन्होंने उनके बेटों को श्रीनगर में रोजगार उपलब्ध कराया था। लेकिन उनसे भी संपर्क नहीं हो पा रहा है।