अस्पताल में मरीजों के साथ दुर्व्यवहार
जागरण संवाददाता, नोएडा : सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल के कर्मचारी मरीजों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। एक दिन पहले ही लापरवाही से एक बच्ची की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी अस्पताल का स्टाफ मरीजों के साथ संवेदनशील नहीं है। यही कारण है कि अस्पताल में आने वाले मरीजों को काफी दिक्कत होती है। अस्पताल प्रबंधन मामले में कर्मचारियों की काउंसिलिंग की बात कह रहा है।
सुबह सात बजे से जिला अस्पताल में मरीजों की लाइन लग जाती है। चाहे वह ओपीडी हो, आपातकालीन विभाग या फिर दवा लेने के लिए मरीजों की लंबी लाइन लग जाती है। यह आलम सुबह से दोपहर तक रहता है। मरीजों की लंबी लाइन के पीछे कर्मचारियों की लापरवाही सामने आती है। अस्पताल में तैनात कर्मचारियों का मरीजों से ज्यादा अपने काम पर ध्यान रहता है। कोई मोबाइल पर तो कोई आपस में बात करता रहता है। या फिर चाय पानी के लिए मरीजों की लंबी लाइन की परवाह किए बिना चला जाता है। किसी को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि उनके पास जो मरीज आया है उसकी हालत कितनी गंभीर है। इसी लापरवाही के चलते औसतन एक मरीज को दवा लेने में पांच से दस मिनट का समय लग जाता है। मां की गोद में बीमार छोटा बच्चा हो या लाठी के सहारे चलने वाला बुजुर्ग सभी को लंबी कतार लगना पड़ता है। कई बार देखने में आता है कि मरीज को दी गई रिपोर्ट दूसरे मरीज की चली जाती है। इस कारण वह इधर-उधर भटकता रहता है। कोई उन्हें यह बताने के लिए तैयार नहीं होता है कि आखिर उनकी समस्या का समाधान कैसे किया जाए। मरीजों का आरोप है कि डॉक्टर उन्हें बीमारी के बारे में सही जानकारी नहीं देते हैं।
क्या कहते हैं मरीज
मैं करीब तीन घंटे से लाइन में लगा हुआ हूं। कमर दर्द कर रही है उसी की दवा लेने के लिए आया था। सुबह पहले डॉक्टर के पास लाइन में खड़ा होना पड़ा। अब दवा लेने के लिए परेशान हो रहा हूं।
राजेश राम, सेक्टर-5, हरौला
सुबह से कतार में खड़ी हुई हूं। डॉक्टर हमें सही मेडिकल रिपोर्ट नहीं देते हैं, जिनकी जान पहचान अच्छी हो उनका इलाज बढि़या करते हैं डॉक्टर। मेरा सही इलाज नहीं हुआ है। रोज-रोज धक्के खाने पड़ते है। मरीज बीमारी से तड़पता रहता है, डांट कर भगा दिया जाता है और क्या बीमारी हो रही हैं। इसके बारे में भी कोई बताने के लिए तैयार नहीं है।
नीतू सिंह, सेक्टर-44
आठ दिन पहले मेरे पैर में इंफेक्शन हो गया था। डॉक्टर सिर्फ इधर से उधर भगाते रहते है। कभी कहते हैं कमरा नं-106 में चले जाओ कभी 111 में भेज देते हैं। आपातकालीन विभाग में भी बहुत देर तक इंतजार करना पड़ता है।
रसीम, गांव सालारपुर
मैं यहां सुबह अपनी मां का इलाज कराने आया था। मेरे पैर खराब हैं। मैंने अस्पताल के कर्मचारी से व्हील चेयर की मांग की थी, काफी देर बाद मुझे चेयर मिल पाई।
मुरारी लाल, सेक्टर-11, नोएडा
कर्मचारियों में व्यवहार की कमी है। इसके लिए उनकी काउंसिलिंग कराई जाएगी। इस बारे में सभी विभागाध्यक्ष से भी अपने स्टाफ के व्यवहार को सुधारने के लिए कहा गया है।
आरपीएन मिश्रा, जिला चिकित्सा अधीक्षक