लोगों को बना रहा था एचआइवी का शिकार
जागरण विशेष--
क्रासर :-
सबहेड---एचआइवी संक्रमण होने पर आसपास के लोगों ने किया था बहिष्कार
-जागरूकता कार्यक्रम के तहत परामर्श कर पीड़ित को समझाया गया
सुनील मौर्य, नोएडा :
पहले संक्रमित इंजेक्शन से एचआइवी का शिकार हुआ और फिर समाज ने नजरों से गिरा दिया। जिससे वह बुरी तरह टूट गया। जिन दोस्तों के साथ वह कभी खाने-पीने के साथ सैर-सपाटा करता था उन्होंने भी किनारा कर लिया। ज्यादातर लोग यह स्वीकार नहीं करते थे कि वह संक्रमित इंजेक्शन से एचआइवी पॉजिटिव हुआ। लिहाजा, उसके दिलोदिमाग में समाज के प्रति नकारात्मक सोच बन गई। इस तरह उसने भी ज्यादा से ज्यादा लोगों को एचआइवी का शिकार बनाने की ठान ली। हालांकि, बाद में जब उसकी काउंसलिंग की गई तब उसकी सोच में बदलाव आया और अब सामान्य जिंदगी जीने का प्रयास कर रहा है।
दरअसल, समाज में अब भी काफी संख्या में लोग एचआइवी संक्रमण के पीछे अवैध तरीके से यौन संबंध बनाए जाने को कारण मानते हैं। यही स्थिति उस व्यक्ति के सामने भी आई। इसी वजह से उसने सामान्य लोगों को भी एचआइवी का शिकार बनाने का प्रयास शुरू कर दिया था।
यह शख्स पिछले कई माह से ऐसी गतिविधियों में लिप्त था जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को एचआइवी संक्रमण हो जाए। इसके लिए उसने नोएडा में रहकर कई लोगों को रक्त भी दान किया। ऐसे लोगों से संबंध बनाए जिनके जरिये एचआइवी अन्य तक भी पहुंच जाए। ऐसे कुछ मामले सामने भी आए। ऐसी शिकायत मिलने पर जिला अस्पताल में स्थित आइसीटीसी एंड एसटीआइ सेंटर के परामर्श अधिकारियों ने इस व्यक्ति से संपर्क साधा। शुरुआत में वह बातचीत करने को तैयार नहीं हुआ, लेकिन धीरे-धीरे उसे समाज के प्रति नकारात्मक धारणा के बारे में समझाया गया तब वह परामर्श लेने के लिए तैयार हुआ।
समाज का दूसरा पहलू भी दिखाया तब सामान्य हुआ
इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर (आइसीटीसी) एवं एसटीआइ (सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन) के मुख्य परामर्शदाता मनोज गुप्ता बताते हैं कि उनकी टीम एचआइवी संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। ऐसे व्यक्ति के बारे में जब पता चला कि वह एचआइवी पीड़ित होने के बाद उसका इलाज कराने के बजाय फैला रहा है तब उसकी काउंसलिंग की गई। यह समझाया गया कि समाज सिर्फ कुछ दायरे तक सीमित नहीं है। एचआइवी संक्रमित व्यक्ति सिर्फ अकेले पीड़ित नहीं बल्कि उसकी पत्नी व बच्चे भी इसके शिकार हो जाते हैं। लिहाजा, जानबूझ कर किसी को इसका शिकार बनाने से एक व्यक्ति नहीं पूरा समाज खराब होगा। तब जाकर वह अब धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आने के साथ अपना इलाज कराने के लिए भी राजी हुआ।
मां के इलाज के लिए देह व्यापार में आ गई
एचआइवी के प्रति जागरूक करने के लिए उत्तर प्रदेश स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की तरफ से चलाए जा रहे कार्यक्रम के तहत नोएडा में एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। 18 वर्षीय एक युवती कैंसर पीड़ित मां का इलाज कराने के लिए देह व्यापार के दलदल में उतर आई। दरअसल, उस युवती का कहना है कि प्रत्येक माह मां के इलाज के लिए पचास हजार रुपये से ज्यादा खर्च होता है। ऐसे में वह नौकरी के साथ कई समाजसेवी संस्थाओं और सरकारी महकमे से मदद की गुहार लगाई। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अंत में थककर वह इस पेशे में आ गई और अब वह मां का इलाज करा सकती है। यह युवती अब भी इस पेशे से नफरत करती है, लेकिन उसकी मजबूरी है। हालांकि, परामर्श टीम लगातार उसे समझाने का प्रयास कर रही है और उसे सावधानी बरतने की सलाह देती है।
सरकारी एजेंसियां पुनर्वास कराने में सक्षम नहीं
नोएडा में पिछले चार साल से सेक्स वर्कर को एचआइवी से बचने और उन्हें परामर्श देने से जुड़े मयाना ग्रामोद्योग संगठन प्रमुख एसएस शर्मा बताते हैं कि सरकारी तंत्र इस समय सिर्फ एचआइवी से बचाने के लिए जागरूक कराने का कार्यक्रम चला रहा है। ऐसे में देह व्यापार में आई और एचआइवी का शिकार हुई कई महिलाएं सवाल करती हैं कि आखिर वह इस पेशे से बाहर निकलें तो जाएं कहां? उनके कौशल विकास के कोई बेहतर कार्यक्रम नहीं है और न ही रोजगार। इसलिए एसएस शर्मा का कहना है कि सरकार को जागरूकता के साथ पुनर्वास के लिए भी कदम उठाने की जरूरत है।