कुम्हलाई पटवारी की क्रिकेट की बगिया
मुजफ्फरनगर : मां-पिता की मौत के बाद घर का एकमात्र सहारा थे विकास शर्मा। उनके जाने से घर के साथ ही जन
मुजफ्फरनगर : मां-पिता की मौत के बाद घर का एकमात्र सहारा थे विकास शर्मा। उनके जाने से घर के साथ ही जनपद में उनकी क्रिकेट की बगिया भी उजड़ गई। जनपद के दर्जनों युवा उनसे गुर सीखकर क्रिकेट की पायदान चढ़ रहे थे। यह दर्दनाक हादसा न केवल उनकी राह को बाधित करेगा, बल्कि उनके हौसले को भी प्रभावित करेगा।
पैंतालीस वर्षीय विकास हंसमुख स्वभाव के थे। क्रिकेट के प्रति उसकी दीवानगी चरम पर थी। राष्ट्रीय खेल संस्थान, पटियाला (एनआइएस) से कोच का प्रशिक्षण लेने वाले विकास खुद क्रिकेट में ज्यादा आगे नहीं जा पाए, लेकिन जनपद में क्रिकेटर तैयार करने के लिए यहां पर प्रशिक्षण का पौध रोपा। एनआइएस से निकलकर उन्होंने सबसे पहले सिरसा में प्रशिक्षण देने की शुरुआत की। वर्ष 2001 में खेल अधिकारी महावीर ¨सह एवं मनोज पुंडीर ने विकास को जनपद में बुलाया और संविदा पर उन्हें स्टेडियम में खेल कोच नियुक्त कर दिया। इसके बाद उन्होंने क्रिकेटरों की नर्सरी तैयार की। यूपी में अंडर-23 में नागेंद्र चौधरी, अंडर-14 में चैतन्य कौशल और हरियाणा में अंडर-19 अमरेंद्र ¨सह उन्हीं से टिप्स लेकर क्रिकेट पिच पर उतरे। विकास के मित्र मनोज पुंडीर का कहना है कि विकास ने उन्हीं के साथ बीसीसीआइ से भी कोचिंग का कोर्स किया। इसके बाद वर्ष 2015 में स्टेट अम्पायर प्रतियोगिता भी उन्होंने पास की। वह जनपद में क्रिकेट की एक प्रीमियर लीग कराना चाहते थे, लेकिन शुक्रवार रात हुए हादसे से उनकी सभी ख्वाहिशें अधूरी रह गई। एमजी पब्लिक स्कूल में शिक्षिका उनकी पत्नी स्वाति इस समय मौत की जंग लड़ रही हैं। विकास के जाने से उनका घर तो उजड़ ही गया है, साथ ही उन्होंने क्रिकेट की जो बगिया बनाई थी, वह भी कुम्हला गई है।
रिश्तेदारों ने किया था मना
रात में जब विकास परिवार के साथ मुजफ्फरनगर आ रहे थे तो रिश्तेदारों ने जाने के लिए मना किया, लेकिन विकास ने कहा कि उन्हें स्कूल जाना है और बच्चे की परीक्षा है।