जान हथेली पर रखकर स्कूल पहुंच रहे बच्चे
खतौली (मुजफ्फरनगर) : देहात क्षेत्र के बच्चे स्कूल-कालेज जान हथेली पर रखकर पहुंच रहे हैं। सैकड़ों छात्
खतौली (मुजफ्फरनगर) : देहात क्षेत्र के बच्चे स्कूल-कालेज जान हथेली पर रखकर पहुंच रहे हैं। सैकड़ों छात्र-छात्राएं डग्गामार जीप, जुगाड़-वैन पर लटकर स्कूल जाते हैं। कुछ गावों के स्कूल छोटे-छोटे बच्चों को पैदल छोड़ देते हैं।
शहर के लगभग तमाम स्कूलों ने छात्र-छात्राओं को घर से लाने-ले जाने के लिए बस, मिनी बस व वैन की व्यवस्था कर रखी है, लेकिन देहात के स्कूलों में सभी रूटों पर वाहनों की व्यवस्था नहीं होने के चलते सैकड़ों बच्चे डग्गामार जीप, जुगाड़ व वैन आदि साधनों से स्कूल जाते हैं। इन वाहनों की छत या पीछे लटकाकर बच्चों के ले जाया जाता है। जीप और वैन के चालक तो एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में उन्हें तेज दौड़ाते हैं। ऐसे में वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा रहता है।
खास बात है कि इन वाहनों का न तो परिवहन विभाग चालान करता और न ही स्थानीय पुलिस। गुरुवार को एटा में स्कूली बस के दुर्घटनाग्रस्त होने से 12 बच्चों की मौत और बड़ी संख्या में घायल होने के बाद भी यहां न तो रतनपुरी पुलिस की आंखें खुलीं और न ही खतौली पुलिस की। शुक्रवार को खतौली-बुढ़ाना मार्ग पर बड़ी संख्या में ऐसे वाहनों पर छात्र लटककर अपने गांव की ओर जाते हुए नजर आए। सिकंदरपुर गांव में तो एक स्कूल ने बच्चों ने पैदल घर जाने के लिए छोड़ दिया। हालांकि बच्चे खतौली-बुढ़ाना मार्ग पर सड़क किनारे लाइन बनाकर जाते हुए नजर आए, लेकिन उनके साथ कोई व्यक्ति दिखायी नहीं दिया। हालांकि इसके लिए केवल स्कूल-कालेज को दोष देना गलत है, बच्चों के अभिभावक भी कहीं न कहीं जिम्मेदार हैं। वे भी यह नहीं देखते कि उनके बच्चे किस तरह स्कूल जाते हैं।
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पूर्व में डग्गामार वाहनों के खिलाफ कई बार अभियान चलाया जा चुका है। कई डग्गामार वाहन सीज भी किए जा चुके हैं। यात्रियों को छत पर या पीछे लटकाकर ले जाने वाले वाहन चालकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
विजय ¨सह, इंस्पेक्टर रतनपुरी